Delhi Election 2025: सुस्त मतदान से किसे होगा नुकसान? क्या हैं कम वोटिंग प्रतिशत के मायने
Delhi Election 2025: दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर मतदान जारी है। निर्वाचन आयोग ने सुबह 9 बजे तक वोटिंग के आंकड़े जारी कर दिए हैं। दिल्ली में बेहद धीमी रफ्तार से वोटिंग हो रही है। ये मतदाताओं की उत्साह में कमी को दर्शाता है।
Delhi Election 2025: दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर मतदान जारी है। निर्वाचन आयोग ने सुबह 9 बजे तक वोटिंग के आंकड़े जारी कर दिए हैं। दिल्ली में बेहद धीमी रफ्तार से वोटिंग हो रही है। ये मतदाताओं की उत्साह में कमी को दर्शाता है। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में अब तक कुल 8.10 प्रतिशत मतदान हुआ है। आइए जानते हैं इसके क्या सियासी मायने हैं।
वोटिंग के आंकड़े
सबसे कम मतदान नई दिल्ली जिले में हुआ है, वहीं सबसे ज्यादा मतदान उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले में हुआ है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सेंट्रल दिल्ली में 6.67 प्रतिशत, नई दिल्ली में 6.51 प्रतिशत, पश्चिमी दिल्ली में 6.67 प्रतिशत, पूर्वी दिल्ली में 8.21 प्रतिशत, दक्षिण पश्चिमी दिल्ली में 9.34 प्रतिशत, दक्षिण पूर्वी दिल्ली में 8.21 प्रतिशत, उत्तर दिल्ली में 7.12 प्रतिशत, उत्तर पूर्वी दिल्ली में 10.70 प्रतिशत, उत्तर पश्चिमी दिल्ली में 7.66 प्रतिशत, शाहदरा में 8.92 प्रतिशत और दक्षिण दिल्ली में 8.43 प्रतिशत मतदान हुआ है।
दिल्ली में हुए पिछले विधानसभा चुनावों के वोटिंग प्रतिशत पर नजर डालें तो ये अब तक का सबसे कम वोटिंग प्रतिशत है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो ये विपक्ष के लिए अच्छा संकेत नहीं है। कम वोटिंग प्रतिशत मतदाताओं में उत्साह की कमी को दर्शाता है। तेज वोटिंग प्रतिशत सत्ता में बदलाव का संकेत माना जाता है, तो वहीं धीमा मतदान सत्ताधारी पार्टी के समर्थन का इशारा करता है। ऐसे में कम वोटिंग प्रतिशत आम आदमी पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर कुल 699 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। दिल्ली का चुनावी दंगल जीतने के लिए सियासी दलों ने पुरजोर कोशिशें की हैं। आम आदमी पार्टी 2013 से दिल्ली की सत्ता में है। दिल्ली आम आदमी पार्टी का गढ़ है, ऐसे में वह किसी भी हालत में जीत हासिल करना चाहती है। वहीं भाजपा 25 साल से दिल्ली की सत्ता से दूर है। कांग्रेस भी 2013 से दिल्ली की कुर्सी से दूर है। ऐसे में विपक्षी दल भी जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। 8 फरवरी को चुनावी नतीजे सामने आने के बाद साफ होगा कि दिल्ली की जनता किसके ऊपर भरोसा जताती है।