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8th Pay Commission: भाजपा के निशाने पर मिड्ल क्लास, Arvind Kejriwal से कनेक्शन भी समझिए

केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी है। सरकार का यह फैसला एक ओर तो मिड्ल क्लास को संतुष्ट करने की कोशिश है तो दूसरी ओर दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को घेरने की रणनीति भी।

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Aditya Pujan
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने गुरुवार को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। दिल्ली में विधानसभा चुनाव की गहमागहमी और बजट से ठीक पहले यह ऐलान बेहद महत्वपूर्ण है। सबसे खास बात ये है कि वेतन आयोग के गठन से केंद्रीय कर्मचारियों को फायदा मिलेगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिस नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, वहां सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारी हैं। सरकार के इस फैसले को अरविंद केजरीवाल को चुनावी मैदान में घेरने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।

मिड्ल क्लास की नाराजगी

एक और आम बजट पेश होने को है, जो नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली NDA सरकार के तीसरे टर्म का पहला बजट होगा। बजट ऐसे समय में पेश हो रहा है, जब मिड्ल क्लास केंद्र सरकार से राहत की मांग कर रहा है। पिछले कुछ सालों में आर्थिक स्तर पर इस तबके को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। यह तबका लंबे समय से BJP का प्रतिबद्ध वोटर भी रहा है लेकिन उसकी नाराजगी सार्वजनिक मंचों से दिख रही है। पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर सबसे अधिक चर्चा टैक्स को लेकर हुई। मिड्ल क्लास में ऐसी धारणा बनी है कि सरकार उसके हितों को लेकर गंभीर नहीं है। उनका आरोप है कि सरकार उनका समर्थन तो लेती है, लेकिन बदले में जब कुछ देने की बात होती है तो उनकी अनदेखी कर दी जाती है। बढ़ती महंगाई ने हालात को और कठिन बना दिया है। हाल के समय में आई तमाम रिपोर्टों में बताया गया है कि मिड्ल क्लास की खर्च करने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है और महंगाई के मुकाबले उसकी कमाई बिल्कुल नहीं बढ़ी है। 

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बीजेपी की संदेश देने की कोशिश

संख्या के स्तर पर भले ही मिड्ल क्लास देश की सबसे बड़ी आबादी न हो, लेकिन नैरेटिव गढ़ने की ताकत सबसे अधिक इसी तबके के पास है। पूरे देश में लोकसभा की ऐसी लगभग 350 सीटें हैं, जहां मध्य वर्गीय आबादी चुनावी नतीजे को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। वेतन आयोग के गठन को मंजूरी देकर केंद्र सरकार ने मिड्ल क्लास को यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह उसकी समस्याओं के प्रति गंभीर है।

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निशाने पर केजरीवाल 

8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी के जरिये बीजेपी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नई दिल्ली सीट पर घेरने की रणनीति तैयार की है। बीजेपी इस मुद्दे को चुनाव प्रचार में भुना सकती है। खासकर केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में सुधार को लेकर उठाए गए इस कदम को लेकर, जिसे दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया जा सकता है। दिल्ली के लुटियन जोन सहित प्रमुख इलाकों जैसे मंदिर मार्ग, सरोजनी नगर, लक्ष्मीबाई नगर, किदवई नगर, लोधी कॉलोनी, जोर बाग और बी के दत्त कॉलोनी में बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी रहते हैं। वेतन आयोग के फैसले से इन कर्मचारियों को वेतन वृद्धि और अन्य लाभ मिलने की संभावना है। दिल्ली की कम से कम 10 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां सरकारी कर्मचारियों की तादाद ज्यादा है। 2020 में ये सभी सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती थीं। इन सीटों पर आप को 55 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बीजेपी को केवल 37 फीसदी से संतोष करना पड़ा था। इससे स्पष्ट है कि जहां पूरे देश में सरकारी कर्मचारी बीजेपी को वोट देते हैं, दिल्ली में उनका समर्थन आप को मिलता है। वेतन आयोग का ऐलान आप के इस वोट बैंक में सेंध लगा सकता है।

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बनेगा मास्टर स्ट्रोक?

दिल्ली में केंद्र सरकार के हजारों कर्मचारी रहते हैं और उनकी लंबे समय से मांग रही है कि उन्हें 8वें वेतन आयोग का लाभ जल्द से जल्द दिया जाए। कुछ महीने पहले केंद्रीय कर्मचारियों ने इस मुद्दे को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन भी किया था। अब, जब बीजेपी दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है, तो 8वें वेतन आयोग की घोषणा उसके लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। दिल्ली चुनाव में केंद्रीय कर्मचारियों के बीच बीजेपी के लिए समर्थन बढ़ सकता है।

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