मुंबई, वाईबीएन नेटवर्क।
एनसीपी (एसपी) के सुप्रीमो शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक आमंत्रण भेजा है। पवार ने मोदी को एक प्रमुख मराठी साहित्यिक समारोह का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया है। पहली नजर में इस कदम को मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए केंद्र के प्रति आभार के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इस निमंत्रण ने शरद पवार की राजनीतिक रणनीति के बारे में अटकलों को भी जन्म दिया है। इसकी एक वजह ये है कि पवार ने एक दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर जमकर हमला बोला था।
एक दिन पहले शाह पर हमला
पिछले कुछ दिनों से शरद पवार के सियासी भविष्य को लेकर तमाम तरह की अटकलें लग रही हैं। कयास लग रहे हैं कि पवार बीजेपी के साथ जाने की रणनीति बना रहे हैं। इसके लिए वे अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी का अपनी पार्टी में विलय की योजना बना रहे हैं। लेकिन इसी बीच अमित शाह ने बीजेपी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में पवार को धोखेबाज कह दिया। फिर, पवार ने भी पलटवार करने में देरी नहीं की। पवार ने कहा कि शाह को अपने पद की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए।
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मराठी साहित्य सम्मेलन के लिए मोदी को आमंत्रण
शाह और पवार की बयानबाजी के बाद लगा जैसे बीजेपी के साथ उनकी डील खटाई में पड़ गई है। लेकिन अगले ही दिन पवार ने मोदी को आमंत्रण भेजकर उलझन बढ़ा दी है। वैसे आपको बता दें कि पवार ने पीएम मोदी को अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया है। इस आयोजन समिति के अध्यक्ष पवार हैं। यह कार्यक्रम अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल के बैनर तले आयोजित किया जाता है। यह पहली बार है कि यह सम्मेलन दिल्ली में (21-23 फरवरी तक) आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के 37वें संस्करण का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
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आमंत्रण के सियासी मायने
पवार के आमंत्रण को सियासी नजरिये से देखें तो पिछले साल महाराष्ट्र चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद उनकी पार्टी चुनौतियों का सामना कर रही है। जिस इंडिया गठबंधन का वो प्रमुख चेहरा हैं, उसकी हालत भी ठीक नहीं है। गठबंधन के कई सदस्य ही इसके नेतृत्व और अस्तित्व पर सवाल उठा चुके हैं। महाराष्ट्र की सियासत में भी पवार अलग-थलग पड़े हुए हैं। उनकी पार्टी में एक और टूट की आशंका भी जताई जा रही है। जीवन के इस पड़ाव पर पवार अब कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। पीएम मोदी को आमंत्रित कर उन्होंने बीजेपी को संभवतः ये संदेश दिया है कि उनकी ओर से साथ आने में कोई रुकावट नहीं है। अब देखना है कि बीजेपी की ओर से उन्हें क्या जवाब मिलता है।
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