नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत और पाकिस्तान के बीच 12 दिन चले सैन्य तनाव के बाद 10 दिन के संघर्ष विराम के बाद अब बीटिंग रिट्रीट समारोह एक बार फिर शुरू किया जा रहा है। इस फैसले पर राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्र सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई है।
शिवसेना नेता ने खड़े किए सवाल
शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सिर्फ एक शब्द "Why?" लिखते हुए सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा किया है। उनकी प्रतिक्रिया से यह संकेत मिलता है कि भारत-पाक तनाव के तुरंत बाद इस समारोह की बहाली पर उन्हें ऐतराज़ है।
न मिलेंगे हाथ, न खुलेंगे द्वार
इस बार पाकिस्तानी सैनिकों से परंपरागत हाथ मिलाने या सीमा द्वार खोलने की संभावना नहीं है। हालांकि, दर्शकों को बीटिंग रिट्रीट देखने की अनुमति दी जाएगी। यह कार्यक्रम शाम 6 बजे तीन प्रमुख सीमाओं अमृतसर के पास अटारी बॉर्डर, फिरोजपुर की हुसैनीवाला सीमा, और फाजिल्का की सादकी सीमा पर आयोजित होगा।
लोगों से समारोह में शामिल होने की अपील
बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट फ्रंट ने लोगों से अपील की है कि वे सादकी बॉर्डर पर शाम 5:30 बजे तक पहुंचें और बड़ी संख्या में इस उत्सव का हिस्सा बनें। सामान्य दिनों में यहां सैकड़ों दर्शक, जिनमें विदेशी भी शामिल होते हैं, इस कार्यक्रम का आनंद लेने आते हैं।
क्या है बीटिंग रिट्रीट समारोह?
बीटिंग रिट्रीट एक विशेष सैन्य परंपरा है, जो 1959 से भारत-पाकिस्तान सीमा पर आयोजित की जाती रही है। इसमें दोनों देशों के झंडे को सूरज ढलने के साथ-साथ सम्मानपूर्वक उतारा जाता है। यह समारोह दोनों देशों के बीच सहयोग और प्रतिस्पर्धा दोनों का प्रतीक माना जाता है। सामान्यतः त्योहारी अवसरों पर दोनों देशों के सीमा रक्षक मिठाईयों का आदान-प्रदान भी करते हैं।
कब बंद हुआ था समारोह?
मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के चलते यह कार्यक्रम दर्शकों के लिए बंद कर दिया गया था। इससे पहले 2019 में एलओसी पर बढ़ती झड़पों के कारण भारत ने इस परंपरा को सीमित कर दिया था। वहीं, 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बीएसएफ ने मिठाई देने की परंपरा को रोक दिया था।
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