दिल्ली में चले 13 माह के किसान
आंदोलन के बाद पंजाब के शंभू और खनौरी बार्डर पर चल रहा किसान आंदोलन भी 13 माह बाद ही समाप्त हो गया। क्या यह महज इत्तेफाक है। किसान राजनीति के जानकारों के लिए यह एक बड़ा सवाल हो सकता है। बता दें कि दिल्ली वाला किसान आंदोलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद समाप्त हुआ था और पंजाब बार्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को बुधवार को हुई सातवें दौर की बेनतीजा वार्ता के बाद पुलिस ने बुलडोजर के दम पर खत्म करा दिया। बुधवार देर रात हुए इस एक्शन की प्रतिक्रिया पर भी सरकार को नजर रखनी होगी।
कल की वार्ता में क्या हुआ था
बुधवार को केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और पीयूष गोयल ने संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) से जुड़े 28 किसान प्रतिनिधियों से वार्ता की थी। वार्ता का मुख्य विंदु एमएसपी ही रहा, दरअसल यह आंदोलन भी 24 फसलों पर एमएसपी गारंटी की मांग से ही शुरू हुआ था। केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने व्यापारियों और कृषि व्यवसाय से जुड़े पक्षों से चर्चा के बाद 4 मई को अगली वार्ता किए जाने की बात कही थी।
बार्डरों पर फोर्स बढ़ाने को लेकर उठाए थे सवाल
वार्ता के दौरान किसान नेताओं सरवन सिंह पंधेर और अन्य ने शंभू और खनौरी बार्डर पर फोर्स बढ़ाए जाने की बात कहते हुए सरकार के एक्शन प्लान पर सवाल किए थे। वार्ता से लौटते समय ही किसानों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया गया और दूर रात दोनों बार्डरों को किसानों से खाली करा लिया गया। लंबे समय से किसानों के बार्डर पर जमे होने के कारण लोगों के काम धंधे प्रभावित हो रहे थे।
किसान आंदोलन पर सख्त कार्रवाई
पंजाब और हरियाणा पुलिस ने किसान आंदोलन को दबाने के लिए कड़ी कार्रवाई की है। बीती शाम पंजाब पुलिस ने शंभू-खनौरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों को हिरासत में लिया। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर को भी गिरफ्तार किया गया, जबकि जगजीत सिंह डल्लेवाल को अस्पताल ले जाया गया। बाद में पुलिस ने धरनारत किसानों को हिरासत में लेकर थाने पहुंचाया। डल्लेवाल को पहले पटियाला से जालंधर और फिर आधी रात को पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में शिफ्ट किया गया।
रात में बार्डर पर बुलडोजर एक्शन
इसके बाद हरियाणा
पुलिस ने किसानों के शेड तोड़ दिए और सीमेंट बैरिकेड हटाकर बॉर्डर को यातायात के लिए खोल दिया। किसान अपनी 12 मांगों को लेकर 13 महीने से बॉर्डर पर डटे थे, लेकिन उनकी मांगें नहीं मानी गईं। किसानों ने धरना, प्रदर्शन, नारेबाजी, बंद, भूख हड़ताल और आमरण अनशन जैसे कई कदम उठाए, लेकिन सरकार ने उनकी आवाज अनसुनी कर दी।
किसानों को पंजाब- हरियाणा के शंभू बार्डर से हटाए जाने के बाद पुलिस किसानों को रोकने के लिए लगाए गए सीमेंटेड बेरिकेड हटाने में लगी है।
बड़े किसान नेताओं की हिरासत
बुधवार को चंडीगढ़ में केंद्र सरकार से बातचीत के बाद आंदोलन स्थल के लिए रवाना हो रहे कई बड़े किसान नेताओं को पंजाब पुलिस ने हिरासत में ले लिया। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों के टेंट हटा दिए गए और इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गईं। इस कार्रवाई से किसान संगठनों में आक्रोश फैल गया। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने पंजाब पुलिस और केंद्र सरकार को इस सख्त कदम के लिए जिम्मेदार ठहराया। पंजाब सरकार ने खनौरी और शंभू बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है, जहां प्रदर्शन अब भी जारी है।
किसान नेता गिरफ्तार, SKM ने लगाए आरोप
पंजाब पुलिस ने जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंढेर, अभिमन्यु कोहाड़ और काका सिंह कोटड़ा को हिरासत में लिया है। SKM ने आरोप लगाया कि पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार कृषि में कॉर्पोरेट और विदेशी कंपनियों के हित में नीतियां लागू कर रही है और इसके लिए वह केंद्र की आरएसएस-बीजेपी सरकार के साथ सहयोग कर रही है। SKM ने इसे भयावह करार देते हुए कहा कि यह कदम उद्योगपतियों के साथ AAP नेताओं की बैठक के बाद उठाया गया है। SKM ने कहा कि शांतिपूर्ण किसान आंदोलन के खिलाफ बल प्रयोग साबित करता है कि केंद्र सरकार किसानों की आजीविका और अस्तित्व के मुद्दों के समाधान के पक्ष में नहीं है।
राकेश टिकैत का बयान
किसानों की गिरफ्तारी पर किसान नेता राकेश टिकैत ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार किसान संगठनों से बातचीत कर रही है और दूसरी तरफ उन्हें गिरफ्तार कर रही है। टिकैत ने पंजाब सरकार की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि सभी किसान संगठन संघर्ष के लिए पूरी तरह तैयार हैं।