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भारतीय वायुसेना के विमान पर म्यांमार में एक साइबर हमला हुआ, जब वह 'ऑपरेशन ब्रह्मा' के तहत भूकंप राहत सामग्री लेकर जा रहा था। हमले में GPS स्पूफिंग तकनीक का उपयोग किया गया, जिससे विमान को गलत दिशा में मोड़ने की कोशिश की गई। हालांकि, पायलटों ने इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) का उपयोग करके स्थिति को संभाला और मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया।
क्या है GPS स्पूफिंग?
GPS स्पूफिंग एक साइबर हमला है, जिसमें नकली सिग्नल भेजकर नेविगेशन सिस्टम को गलत दिशा में मोड़ा जाता है। यह तकनीक विमान को गलत स्थान पर ले जा सकती है, जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
भारतीय वायुसेना की प्रतिक्रिया
भारतीय वायुसेना के पायलटों ने GPS स्पूफिंग का पता चलते ही INS और अन्य नेविगेशन तकनीकों का उपयोग किया, जिससे विमान को सुरक्षित रूप से गंतव्य तक पहुंचाया गया।
संभावित हमलावर
हालांकि, हमले के पीछे किसका हाथ है, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन म्यांमार में चीन की बढ़ती गतिविधियों और तकनीकी ताकत को देखते हुए संदेह चीन और उसके समर्थित उग्रवादी गुटों पर जताया जा रहा है।
बढ़ता साइबर खतरा
GPS स्पूफिंग के मामले वैश्विक स्तर पर बढ़ रहे हैं। 2024 में GPS स्पूफिंग के मामलों में 500% की बढ़ोतरी हुई है, जिससे यह सिविल और सैन्य दोनों विमानों के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है।
यह घटना दर्शाती है कि भविष्य की लड़ाइयां केवल जमीन या हवा में नहीं, बल्कि सैटेलाइट और साइबर स्पेस में भी लड़ी जाएंगी। भारतीय वायुसेना की सतर्कता और तकनीकी तैयारी ने इस हमले को विफल किया, लेकिन यह एक चेतावनी है कि साइबर सुरक्षा को और मजबूत करने की आवश्यकता है।