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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क| सोशल मीडिया पर बढ़ती फेक न्यूज़, अश्लील टिप्पणियों और घृणित भाषा को लेकर अब संसद और न्यायपालिका द्वारा चिंता जताई जा रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और संसद की सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति के सदस्य डॉ. निशिकांत दुबेने एक ट्वीट के माध्यम से इस विषय पर गंभीर चिंता जाहिर की है। उन्होंने इसको लेकर एक ट्वीट भी किया और अपनी चिंता जाहिर की।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने IT एक्ट की धारा 66A को समाप्त कर दिया,आज सर्वोच्च न्यायालय खुद ही चिंतित है लगातार पिछले 6 महीने से सुप्रीम कोर्ट आम जनता,महिलाओं,बच्चों के ख़िलाफ़ अश्लील टिप्पणी,फ़ेक न्यूज़ रोकने पर अपने या विचार ज़ाहिर कर रहे हैं ।हमारी संसद की स्थायी समिति भी…
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) July 16, 2025
अश्लीलता और फेक न्यूज़ को लेकर चिंता
डॉ. दुबे ने ट्वीट में कहा कि “माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आईटी एक्ट की धारा 66A को पहले ही समाप्त कर दिया था, लेकिन आज खुद सर्वोच्च न्यायालय लगातार बीते छह महीनों से आम जनता, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ सोशल मीडिया पर फैल रही अश्लीलता और फेक न्यूज़ को लेकर अपनी चिंता जता रहा है।”
उन्होंने बताया कि संसद की स्थायी समिति भी सुप्रीम कोर्ट के इन सुझावों से सहमत है और इस विषय पर गंभीरता से विचार कर रही है। दुबे के अनुसार, समिति ने सरकार को यह सिफारिश भेजी है कि संविधान के अनुच्छेद 19(1) जो कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, उसकी गरिमा को बनाए रखते हुए, डिजिटल माध्यमों पर अश्लीलता, घृणित भाषा और झूठी खबरों पर सख्त रोक लगाई जाए और इसके लिए कानूनी दंड का स्पष्ट प्रावधान भी किया जाए।
सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर रोक
डॉ. दुबे के इस बयान से संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए किसी नए विधायी ढांचे पर विचार कर सकती है। यह कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और डिजिटल अनुशासन के बीच संतुलन बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
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