मुर्शिदाबाद, वाईबीएन नेटवर्क। पश्चिम
बंगाल के
मुर्शिदाबाद जिले के धूलियान शहर से लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित बेदवना गांव आज वीरान पड़ा है। गांव की ओर बढ़ते ही रास्ते में पसरा सन्नाटा, जगह-जगह बीएसएफ जवानों की तैनाती और पुलिस की गश्ती गाड़ियां गांव की त्रासदी की गवाही देती हैं। स्थानीय लोग गिनती के ही दिखाई देते हैं।
खंडहर बना गांव, टूटा मंदिर और खंडित मूर्तियां
गांव के प्रवेश द्वार पर स्थित टूटा हुआ मंदिर और उसकी खंडित मूर्तियां हिंसा और
तबाही की कहानी खुद बयां करते हैं। उपद्रवियों ने गांव में न सिर्फ घरों को आग के हवाले किया बल्कि निर्दोष पशुओं को भी जिंदा जला डाला। बेदवना में कुल 190 घर हैं, जिनमें से 113 घर शनिवार को हिंसा के दौरान पूरी तरह जलकर राख हो गए। हजारों की भीड़ ने सुनियोजित तरीके से इस तबाही को अंजाम दिया। 70 से ज्यादा परिवार डरकर मालदा और झारखंड की ओर पलायन कर गए हैं, जबकि कई अन्य अब भी गांव छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
बुजुर्ग गणेश बोले- जान बची तो लाखों पाए
हादसे के एक हफ्ते बाद भी बुजुर्ग गणेश सदमे में हैं। कांपती आवाज में वे बताते हैं, "सैकड़ों युवक, जिनकी उम्र 16 से 24 साल के बीच रही होगी, हाथों में तलवार, पेट्रोल बम, हंसिया और अन्य हथियार लेकर आए। घरों पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। जो जमा पूंजी थी, सब जल गई। मवेशी भी जिंदा जला डाले।"वे कहते हैं, "सोना-चांदी जो मिला, लूट लिया गया। जान सबसे कीमती है साहब। अगर गांव में स्थायी बीएसएफ कैंप नहीं मिला तो हमें यहां से जाना ही पड़ेगा।"
खूंटे से बंधे मवेशियों को भी नहीं बख्शा
गांव के ही निवासी सुशांत बताते हैं, "हमने सोचा था घर जलाना, सामान लूटना तक ही होगा, लेकिन उपद्रवियों ने गौशालाओं में आग लगाकर खूँटी से बंधे मवेशियों तक को जला डाला।"सुशांत भावुक होकर कहते हैं, "इतनी क्रूरता की उम्मीद नहीं थी। सब कुछ राख हो गया। अब गांव में सिर्फ जले हुए खंडहर और टूटी उम्मीदें बची हैं।" मंदिर और गौशालाएं भी ध्वस्त कर दी गई हैं।
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