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पर्यावरण संरक्षण के साथ हो विकास: Supreme Court ने तेलंगाना सरकार को छह हफ्ते में पुनरुद्धार योजना पेश करने का निर्देश

उच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना सरकार को कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र की बहाली के लिए छह सप्ताह के भीतर समग्र और ठोस प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह विकास के विरोध में नहीं है, लेकिन सतत विकास जरूरी है।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्‍क: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को तेलंगाना सरकार को निर्देश दिया कि वह हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र के समग्र पुनरुद्धार के लिए छह सप्ताह के भीतर व्यापक और ठोस प्रस्ताव प्रस्तुत करे। अदालत ने साफ कहा कि विकास कार्यों के दौरान पर्यावरण और वन्य जीवन की रक्षा अनिवार्य है, और कटे हुए पेड़ों की प्रतिपूर्ति अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि न्यायालय विकास के विरोध में नहीं है, लेकिन यह विकास सतत और पर्यावरण-संवेदनशील होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भी विकास गतिविधियां की जाती हैं, तो प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिक संतुलन को संरक्षित रखना आवश्यक है।

पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के प्रति उत्तरदायी हों

पीठ ने कहा कि हम विकास कार्यों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन ये कार्य पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के प्रति उत्तरदायी हों। सरकार यदि पुनरुद्धार और क्षतिपूर्ति से संबंधित कोई ठोस योजना लाती है, तो न्यायालय उसका स्वागत करेगा। तेलंगाना सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार एक समग्र प्रस्ताव तैयार कर रही है, जो विकास और पर्यावरण हितों के बीच संतुलन सुनिश्चित करेगा।

पेड़ों की कटाई पर कोर्ट सख्त

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 15 मई को हैदराबाद विश्वविद्यालय के निकट की गई पेड़ों की कटाई पर नाराजगी जताई थी। अदालत ने कहा था कि यह कटाई पूर्व नियोजित प्रतीत होती है और सरकार को इसे बहाल करने या अधिकारियों को जेल भेजने के विकल्पों में से चुनना होगा। इससे पहले 3 अप्रैल को अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। 16 अप्रैल को तेलंगाना सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया था कि यदि राज्य अपने मुख्य सचिव को कड़ी कार्रवाई से बचाना चाहता है, तो उसे 100 एकड़ गैर-वनीय भूमि को पुनर्स्थापित करने के लिए स्पष्ट योजना पेश करनी होगी।

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