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बिहार में एसआईआर पर चुनाव आयोग का Supreme Court में हलफनामा, कहा- हर योग्य मतदाता का नाम होगा शामिल

बिहार में चल रहे एसआईआर अभियान को लेकर उठे विवाद के बीच चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट किया है कि किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना नोटिस, सुनवाई और सक्षम अधिकारी के आदेश के बिना मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा।

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Ranjana Sharma
Election Commission
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पटना, आईएएनएस: बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर उठे विवाद के बीचचुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए स्पष्ट किया है कि राज्य में किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना पूर्व सूचना, सुनवाई का अवसर और सक्षम अधिकारी के तर्कपूर्ण आदेश के बिना मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा। आयोग ने कहा कि हर योग्य मतदाता का नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल कराने के लिए सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं और इस दिशा में सख्त निर्देश जारी किए गए हैं।

12 अगस्त को मामले पर होगी सुनवाई 

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने आरोप लगाया कि बिहार में एसआईआर के दौरान गलत तरीके से 65 लाख मतदाताओं को सूची से बाहर कर दिया गया है। 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। अब 12 अगस्त को इस मामले पर फिर से सुनवाई होगी।

एसआईआर का पहला चरण हुआ पूरा

आयोग ने अपने अतिरिक्त हलफनामे में बताया कि एसआईआर का पहला चरण पूरा हो चुका है और 1 अगस्त 2025 को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित कर दी गई है। यह चरण बूथ स्तर अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा घर-घर जाकर मतदाताओं के नाम और आवश्यक फॉर्म जुटाने के बाद पूरा हुआ। कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ लोगों ने अपने नामों की पुष्टि की या फॉर्म जमा किए। इस व्यापक अभियान में बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी, 243 निर्वाचन पंजीकरण पदाधिकारी, 77,895 बीएलओ, 2.45 लाख स्वयंसेवक और 1.60 लाख बूथ स्तर एजेंट सक्रिय रहे।

छूटे हुए मतदाताओं की सूची उपलब्ध कराई गई

चुनाव आयोग ने आगे कहा कि राजनीतिक दलों को समय-समय पर छूटे हुए मतदाताओं की सूची उपलब्ध कराई गई, ताकि समय रहते नाम जोड़े जा सकें। प्रवासी मजदूरों के लिए 246 अखबारों में हिंदी में विज्ञापन जारी किए गए और ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों माध्यमों से फॉर्म भरने की सुविधा दी गई। शहरी निकायों में विशेष कैंप आयोजित किए गए, युवाओं के पंजीकरण के लिए अग्रिम आवेदन की व्यवस्था की गई, जबकि वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और कमजोर वर्गों की मदद के लिए 2.5 लाख स्वयंसेवक तैनात किए गए।

एक सितंबर तक दर्ज करा सकते हैं आपत्तियां

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चुनाव आयोग ने विशेष रूप से स्पष्ट किया है कि किसी भी नाम को प्रारूप सूची से हटाने से पहले नोटिस जारी करना, संबंधित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर देना और सक्षम अधिकारी का कारणयुक्त आदेश आवश्यक होगा। प्रारूप सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज करने की अवधि 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक निर्धारित की गई है, जिसके लिए ऑनलाइन और प्रिंट दोनों प्रारूप उपलब्ध कराए गए हैं। आयोग ने आगे कहा कि प्रक्रिया की पारदर्शिता और जनता की जागरूकता के लिए रोजाना प्रेस विज्ञप्ति जारी की जा रही है, ताकि किसी भी पात्र मतदाता का नाम अंतिम मतदाता सूची से वंचित न रह जाए।

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