नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार, 26 जून को एक फिर भाषाओं को लेकर बयान दिया। उन्होंने अपने बयान में उन्होंने कहा कि हिंदी किसी भी भारतीय भाषा की विरोधी नहीं है, बल्कि वह सभी भारतीय भाषाओं की सखी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत में किसी विदेशी भाषा का विरोध नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन अपनी भाषाओं का गौरव बढ़ाने की ललक हर भारतीय में होनी चाहिए।
राज्य सरकारों की हर संभव मदद करेगी
शाह केंद्र सरकार के आधिकारिक भाषा विभाग के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे चिकित्सा और इंजीनियरिंग जैसे पेशेवर पाठ्यक्रमों की पढ़ाई स्थानीय भाषाओं में शुरू करें। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार प्रशासनिक कार्यों में भारतीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा देने में राज्य सरकारों की हर संभव मदद करेगी।
“भाषा राष्ट्र की आत्मा है”
गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की आत्मा है। जब तक कोई व्यक्ति अपनी भाषा में सोचने और बोलने का गर्व नहीं करता, तब तक वह गुलामी की मानसिकता से मुक्त नहीं हो सकता।” शाह ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार किसी विदेशी भाषा के विरोध में नहीं है, लेकिन यह आवश्यक है कि भारतीय भाषाओं को जीवंत और समृद्ध रखा जाए। उन्होंने कहा, “हमें अपनी भाषा बोलने, उसमें सोचने और गर्व महसूस करने की संवेदना और ललक को बढ़ाना चाहिए।”
भारतीय भाषाएं बढ़ाएंगी संस्कृति का स्वाभिमान
गृह मंत्री ने कहा कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं एक-दूसरे की पूरक हैं और सांस्कृतिक स्वाभिमान को बढ़ाने में साथ मिलकर बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने इस दिशा में हरसंभव प्रयास करने की बात कही। यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में भाषा को लेकर बहस लगातार जारी है और मातृभाषा में शिक्षा तथा प्रशासनिक कार्यों को बढ़ावा देने की मांग जोर पकड़ रही है।
amit saha