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धनखड़ पर बोले Amit Shah, बात का बतंगड़ न बनाएं, स्वास्थ्य कारण से दिया इस्तीफा

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर पहली बार गृहमंत्री अमित शाह ने खुलकर प्रतिक्रिया दी। शाह ने स्पष्ट किया कि धनखड़ ने संवैधानिक दायित्वों का ईमानदारी से पालन किया और उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ा है।

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Ranjana Sharma
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्‍क: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे को लेकर पहली बार गृहमंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया दी है। शाह ने स्पष्ट किया कि धनखड़ ने संवैधानिक दायित्वों का पूरी निष्ठा से निर्वहन किया और उनका इस्तीफा पूरी तरह स्वास्थ्य कारणों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि इस मसले में किसी तरह की राजनीति या साजिश तलाशना निरर्थक है और बेवजह का विवाद नहीं खड़ा किया जाना चाहिए।

कानून सबके लिए समान 

न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्‍यू के दौरान प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री या फिर किसी मंत्री के जेल जाने पर से हटाए जाने वाले बिल पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि कानूनों का इस्तेमाल केवल उन्हें निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि कानून की प्रक्रिया सभी के लिए समान रूप से लागू होती है। शाह ने साफ कहा कि कोई भी व्यक्ति अगर दोषी नहीं है, तो उसे कोर्ट से जमानत मिलेगी। अगर गिरफ्तारी गलत है तो न्यायालय से राहत जरूर मिलेगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आप देखिए सतेंद्र जैन को चार साल तक जमानत नहीं मिली। इसका मतलब कोर्ट ने गंभीरता को समझा।

जनप्रतिनिधियों को जेल में रहते हुए पद से हटना पड़ेगा

गृह मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा प्रस्तावित नया बिल राजनीतिक प्रतिशोध के लिए नहीं, बल्कि शासन की शुचिता बनाए रखने के लिए लाया गया है। उन्होंने बताया कि इस बिल में गंभीर आरोपों की स्थिति में जनप्रतिनिधियों को जेल में रहते हुए पद से हटना पड़ेगा और जब तक जमानत न मिले, तब तक सरकार नहीं चलाई जा सकेगी। उन्होंने कहा कि जेल से सरकार चलाना न केवल अशोभनीय है, बल्कि लोकतंत्र के सिद्धांतों के भी खिलाफ है। अगर कोई व्यक्ति न्यायालय से दोषमुक्त होता है और जमानत मिलती है तो वह दोबारा शपथ ले सकता है और अपने दायित्वों को निभा सकता है।

समन मिलने पर मैंने छोड़ा था पद 

शाह ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि जब बिल कैबिनेट के पास था, उस वक्त अधिनियम का ड्राफ्ट तक फाड़ा गया था, जिससे उनकी मानसिकता साफ झलकती है। उन्होंने जेपीसी (संसदीय संयुक्त समिति) पर विपक्ष के बहिष्कार को भी गैर-जिम्मेदाराना बताया और कहा कि जेपीसी विपक्ष के बिना भी अपना कार्य करती रहेगी। अपने व्यक्तिगत अनुभव का हवाला देते हुए अमित शाह ने कहा कि मुझे भी एक बार समन मिला था। मैंने तत्काल अपने पद से इस्तीफा दिया। अदालत ने मुझे शक के आधार पर नहीं, बल्कि साक्ष्यों के अभाव में बरी किया। उसके बाद ही मैंने दोबारा शपथ ली।  amitshah | jagdeep dhankhar | bjp
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