नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। Hypersonic Missile: भारत अब दुनिया की सबसे तेज मिसाइलों में शामिल हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक की ओर निर्णायक कदम बढ़ा चुका है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने दावा किया है कि अगले दो से तीन वर्षों में यह अत्याधुनिक मिसाइल भारतीय सेना का हिस्सा बन जाएगी। यह मिसाइल ध्वनि की गति से पांच गुना तेज यानी करीब 6174 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकती है। भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल न केवल देश की सामरिक क्षमता को मजबूत करेगी, बल्कि इसे तकनीकी महाशक्ति की दिशा में भी बड़ा मुकाम दिलाएगी। स्वदेशी तकनीक, असाधारण गति और रडार अवॉइडेंस क्षमता के चलते यह अगली पीढ़ी की मिसाइल प्रणाली भारत को वैश्विक सुरक्षा संतुलन में एक अहम भूमिका दिला सकती है।
पाकिस्तान पूरी तरह और आधा चीन इस मिसाइल की जद में
DRDO प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने एक साक्षात्कार में बताया कि भारत हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी में तेजी से प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा, “हमने तकनीकी रूप से अहम सफलताएं हासिल कर ली हैं और अंतिम परीक्षण अगले 2-3 साल में पूरा होने की संभावना है।” इस मिसाइल की रेंज 2000 किलोमीटर तक हो सकती है, जिससे पाकिस्तान पूरी तरह और चीन का एक बड़ा हिस्सा इसकी जद में आएगा।
पूरी तरह स्वदेशी तकनीक और स्क्रैमजेट इंजन से लैस
यह हाइपरसोनिक मिसाइल भारत के हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) पर आधारित है, जिसका सफल परीक्षण 2020 में हो चुका है। हाल ही में ओडिशा में इसका लंबी दूरी का परीक्षण भी किया गया। इसमें स्वदेशी स्क्रैमजेट इंजन लगाया गया है, जो वातावरण से ऑक्सीजन लेकर ईंधन जलाता है। यह तकनीक पूरी तरह भारत में विकसित की गई है।
रडार से बच निकलने वाली क्रूज मिसाइल
यह हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बेहद कम ऊंचाई पर उड़ती है और इतनी तेज होती है कि कोई भी रडार इसे पकड़ नहीं सकता। इस वजह से दुश्मन को पता लगने से पहले ही यह अपना निशाना भेद सकती है। इसे ‘फायर एंड फॉरगेट’ टेक्नोलॉजी पर आधारित माना जा रहा है, यानी एक बार टारगेट सेट करने के बाद इसमें हस्तक्षेप की जरूरत नहीं रहती।
अमेरिका और चीन से आगे निकलने की तैयारी
फिलहाल रूस, अमेरिका, चीन और भारत ही हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक पर काम कर रहे हैं। हालांकि अमेरिका और चीन ने इस पर कोई ठोस आधिकारिक जानकारी नहीं दी है। रूस ने यूक्रेन युद्ध में इसके उपयोग का दावा किया था लेकिन विशेषज्ञों ने इसे लेकर संदेह जताया था। अगर भारत तय समयसीमा में सेना में इसका समावेश कर लेता है, तो यह विश्वस्तरीय रणनीतिक बढ़त बन सकती है।
12,500 किमी की दूरी सिर्फ 2 घंटे में तय करने में सक्षम
DRDO के अनुसार यह मिसाइल इतनी तेज है कि जो दूरी एक सामान्य विमान से 16 घंटे में तय होती है, वह हाइपरसोनिक मिसाइल महज दो घंटे में तय कर सकती है। यह तकनीक भविष्य के युद्धों में गेम चेंजर साबित हो सकती है।