/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/16/befunky-collage-72-2025-08-16-15-31-20.jpg)
दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: स्वतंत्रता दिवस जैसे ऐतिहासिक अवसर पर कांग्रेस पार्टी के एक कार्यक्रम में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और 1984 सिख दंगों के आरोपी जगदीश टाइटलर की एक साथ तस्वीर वायरल होने के बाद देश की राजनीति में हलचल मच गई है। इस घटना को लेकर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस की नीयत और सोच पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
भाजपा का राहुल गांधी पर हमला
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि संवैधानिक परंपराओं और राष्ट्रीय भावनाओं के प्रति उनका रवैया गैरजिम्मेदाराना है। उन्होंने कहा कि देश के सर्वोच्च लोकतांत्रिक पद यानी संसद में विपक्ष के नेता के रूप में यह राहुल गांधी की जिम्मेदारी थी कि वे स्वतंत्रता दिवस के राष्ट्रीय आयोजन में भाग लेते, लेकिन उन्होंने इससे दूरी बनाकर संवैधानिक मर्यादा को ठेस पहुंचाई। तरुण चुघ ने यह भी कहा कि शायद यह पहली बार है जब स्वतंत्र भारत के इतिहास में किसी प्रमुख विपक्षी नेता ने स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने से परहेज किया है।
जगदीश टाइटलर की मौजूदगी पर जताई आपत्ति
विवाद का मुख्य केंद्र कांग्रेस द्वारा आयोजित उस कार्यक्रम में जगदीश टाइटलर की उपस्थिति रही, जिन्हें 1984 सिख विरोधी दंगों का मुख्य आरोपी माना जाता है। भाजपा का आरोप है कि टाइटलर को मंच पर सम्मानपूर्वक स्थान देकर कांग्रेस ने सिख समुदाय के जख्मों पर नमक छिड़का है। तरुण चुघ ने इस पर कहा, “1984 के सिख नरसंहार के मास्टरमाइंड को सार्वजनिक मंच पर सम्मान देना कांग्रेस की घिनौनी सिख विरोधी मानसिकता का प्रतीक है। यह कदम न सिर्फ कांग्रेस की असंवेदनशीलता को उजागर करता है, बल्कि देश की एकता, अखंडता और समरसता के लिए भी घातक संकेत देता है।
कांग्रेस की चुप्पी और बढ़ती बहस
फिलहाल कांग्रेस पार्टी की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि विपक्ष के नेता की संवैधानिक भूमिका और नैतिक जिम्मेदारियों को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं भाजपा ने कांग्रेस से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व पर ऐसे व्यक्ति को मंच क्यों दिया गया, जिस पर सिख दंगों का गंभीर आरोप है। पार्टी ने कहा कि यह न केवल शहीदों के बलिदान का अपमान है, बल्कि देश की लोकतांत्रिक भावनाओं के भी विपरीत है।
Advertisment