नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
waqf bill: वक्फ संशोधन बिल पारित हो चुका है, लेकिन इसका विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। वक्फ संशोधन विधेयक की वैधता को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गयी हैं। देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम) ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें दावा किया गया है कि यह मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को छीनने की एक "खतरनाक साजिश" है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है, अब इस मामले पर जल्द ही शीर्ष अदालत में सुनवाई की जाएगी। प्रधान न्यायाधीश ने कहा है कि सभी याचिकाओं का जल्द सूचीबद्ध करके डेट तय की जाएगी। भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इन दलीलों पर गौर किया कि याचिकाओं को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की जरूरत है।
वक्फ संशोधन बिल के विरोध में याचिका
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसे पहले संसद के दोनों सदनों में गरमागरम बहस के बाद पारित किया गया। केरल के सुन्नी मुस्लिम विद्वानों के धार्मिक संगठन ‘समस्त केरल जमीयत-उल उलेमा’ की अधिवक्ता जुल्फिकार अली पी एस के माध्यम से भी याचिका दायर की गई है। अपनी याचिका में जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम) ने कहा है कि यह कानून "देश के उस संविधान पर सीधा हमला है, जो न केवल अपने नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है, बल्कि उन्हें पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रदान करता है।”
धार्मिक स्वतंत्रता को छीनने की साजिश
जमीयत ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "यह विधेयक मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को छीनने की एक खतरनाक साजिश है। इसलिए, हमने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है और जमीयत उलेमा-ए-हिंद की राज्य इकाइयां भी अपने-अपने राज्यों के उच्च न्यायालयों में इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देंगी।” इसमें कहा गया है, "जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने न केवल वक्फ (संशोधन) अधिनियम (amendment in waqf board act) के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है, बल्कि इस कानून को प्रभावी होने से रोकने के लिए अदालत में एक अंतरिम याचिका भी दायर की है।"
"धार्मिक चरित्र को विकृत कर देंगे संशोधन"
‘समस्त केरल जमीयत-उल उलेमा’ ने अपनी याचिका में कहा है कि ये संशोधन वक्फ के धार्मिक चरित्र को विकृत कर देंगे तथा वक्फ और वक्फ बोर्डों के प्रशासन में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी अपूरणीय क्षति भी पहुंचाएंगे। याचिका में कहा गया है, ‘‘अतः हमारी दलील है कि 2025 का अधिनियम धर्म के विषय पर अपने मामलों का प्रबंधन करने के धार्मिक संप्रदाय के अधिकारों में एक स्पष्ट हस्तक्षेप है। इस अधिकार को भारत के संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत संरक्षण प्राप्त है।’’
इन नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और आप विधायक अमानतुल्लाह खान सहित कई लोगों ने विधेयक की वैधता को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। इनके अलावा, एक गैर सरकारी संगठन -‘ एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’- ने भी वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है।