नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की अटकलों को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को केंद्र सरकार से तत्काल स्पष्टीकरण की मांग की। पार्टी ने चेतावनी दी कि अगर ऐसा कोई रुख अपनाया गया है, तो यह भारत और पाकिस्तान के बीच हुए शिमला समझौते का उल्लंघन हो सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप के दावों के बीच कांग्रेस ने सरकार से पूछा है कि क्या भारत की विदेश नीति में कोई बदलाव हुआ है। एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा- सरकार को संसद में आकर स्पष्ट करना चाहिए कि क्या अब भारत तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए तैयार है? ट्रंप लगातार कह रहे हैं कि उन्होंने हस्तक्षेप किया है, क्या शिमला समझौते का उल्लंघन हुआ है?”
कांग्रेस ने पीएम से विशेष सत्र बुलाने की मांग की
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है ताकि इस संवेदनशील विषय पर चर्चा की जा सके। वेणुगोपाल ने कहा कि यह किसी को कटघरे में खड़ा करने के लिए नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए है कि आगे कोई चूक न हो। बता दें कि भारत और पाकिस्तान ने 10 मई को सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति जताई थी, लेकिन उसी दिन पाकिस्तान द्वारा सीमा पार गोलीबारी की घटना सामने आई। इससे पहले 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में नरसंहार किया गया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। भारत ने इसके जवाब में ड्रोन और मिसाइल स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर निशाना साधा। इसके बाद चार दिनों तक चले संघर्ष के बाद दोनों पक्षों ने संघर्षविराम पर सहमति जताई।
कांग्रेस का समर्थन, लेकिन सवाल बरकरार
केसी वेणुगोपाल ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस, INDIA गठबंधन और पूरा विपक्ष आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सरकार और भारतीय सेना के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा- हमें जवाब चाहिए ताकि भविष्य में गलतियों को सुधारा जा सके और पाकिस्तान के खिलाफ हमारी रणनीति में कोई चूक न हो। उन्होंने यह भी कहा कि आज देश और दुनिया पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को याद कर रही है, जिन्होंने कभी भी कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष की भूमिका को स्वीकार नहीं किया था। कांग्रेस की इस मांग से राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है और अब नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या केंद्र सरकार इस विषय पर संसद में खुलकर जवाब देगी।