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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: आप के वरिष्ठ नेता और पंजाब प्रभारी मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार की उस प्रस्तावित योजना का समर्थन किया है जिसमें किसी सीएम, मंत्री या पीएम को आपराधिक मामले में गिरफ्तार किए जाने की स्थिति में 30 दिन के भीतर पद से हटाए जाने का प्रावधान किया जा रहा है। हालांकि, सिसोदिया ने इस प्रस्ताव को अधूरा बताते हुए इसमें महत्वपूर्ण बदलावों की मांग भी की है।
निर्दोष साबित होने पर फंसाने वालों को मिले सजा
सिसोदिया ने कहा कि यदि किसी जनप्रतिनिधि को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजा जाता है, तो उसे पद छोड़ना चाहिए यह सही कदम है। लेकिन अगर वह व्यक्ति बाद में निर्दोष साबित होता है तो उसे फंसाने वाले अधिकारियों, एजेंसियों और उनके प्रमुखों को भी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जितने साल की सजा वाले आरोप झूठे साबित हों, उतने ही साल उन अफसरों और एजेंसी प्रमुखों को जेल में रहना चाहिए। पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने जोर देकर कहा कि यह कानून केवल नेताओं के लिए नहीं, आम नागरिकों के लिए भी समान रूप से लागू होना चाहिए। यदि कोई आम आदमी झूठे केस में जेल भेजा जाता है, तो उस पर झूठा केस दर्ज करने वाले अधिकारियों और जांच एजेंसियों को भी सजा मिलनी चाहिए।
भ्रष्टाचारियों को कुर्सी खोने का डर हमेशा रहना चाहिए
उन्होंने कहा कि इस कानून की अच्छी मंशा के बावजूद इसके दुरुपयोग की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, जैसा कि ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के मामलों में देखने को मिला है। उन्होंने कहा, कि भ्रष्टाचारियों को कुर्सी खोने का डर हमेशा रहना चाहिए, लेकिन इस डर के नाम पर राजनीतिक साजिश न हो, यह सुनिश्चित करना भी उतना ही जरूरी है।
अफसरशाही और एजेंसियों की जवाबदेही तय करना जरूरी
सिसोदिया ने यह भी कहा कि यह कानून सत्तारूढ़ दल को अत्यधिक अधिकार देता है और अगर इसमें संतुलन नहीं रखा गया, तो यह राजनीतिक हथियार बन सकता है। उन्होंने मांग की कि ऐसे मामलों में अफसरशाही और एजेंसियों की जवाबदेही तय करना जरूरी है, ताकि सत्ता का दुरुपयोग रोका जा सके।उन्होंने स्पष्ट किया कि आम आदमी पार्टी ईमानदारी की राजनीति में विश्वास रखती है और भ्रष्टाचार के खिलाफ हर सख्त कदम का समर्थन करती है, लेकिन कानून निष्पक्ष और संतुलित होना चाहिए, जिससे राजनीतिक प्रतिशोध की कोई गुंजाइश न रहे। manish sisodia | aam aadmi party
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