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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों ने पूरे देश के राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है। अप्रत्याशित रूप से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 243 में से 202 सीटें हासिल कर लीं, जबकि राजद नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। इस बीच कांग्रेस ने चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाते हुए परिणामों की विस्तृत जांच की मांग की है।
कांग्रेस के 61 उम्मीदवारों में से केवल छह ही जीत पाए
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात के बाद मीडिया से कहा कि शुरू से ही चुनाव प्रक्रिया पर संदेह के बादल छाए हुए थे और इसी कारण इतने चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 61 उम्मीदवारों में से केवल छह ही जीत पाए, जो एनडीए की अभूतपूर्व जीत और बीजेपी के रिकॉर्ड स्ट्राइक रेट पर सवाल खड़े करता है। माकन ने आरोप लगाया कि “बीजेपी का 90 प्रतिशत से अधिक का स्ट्राइक रेट किसी को भी उम्मीद नहीं थी इसमें निश्चित ही कुछ गड़बड़ नजर आती है। उनके अनुसार, पार्टी कार्यकर्ताओं से पूरे बिहार से अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही हैं और कांग्रेस अब फॉर्म 17C, मतदाता सूची और अन्य डेटा की जांच कर रही है।
विपक्षी इंडिया गठबंधन केवल 34 सीटों पर सिमट गया
कांग्रेस नेताओं ने 1984 के लोकसभा चुनाव का उल्लेख करते हुए कहा कि तब भी स्ट्राइक रेट इतना असामान्य नहीं था, जबकि उस चुनाव को भारतीय इतिहास में सबसे बड़ी सहानुभूति लहर का चुनाव माना जाता है, जिसमें कांग्रेस ने 414 सीटें जीती थीं। एनडीए की इस ऐतिहासिक जीत को ‘ब्रांड मोदी–नीतीश’ की रणनीति का परिणाम बताया जा रहा है, वहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन केवल 34 सीटों पर सिमट गया। बैठक के बाद कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि बिहार के परिणाम “अविश्वसनीय” हैं और विपक्षी दल इन पर भरोसा नहीं कर पा रहे। उन्होंने दावा किया कि पार्टी 1–2 हफ्तों में ठोस डाटा और सबूत पेश करेगी तथा चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए।
उधर, राहुल गांधी ने भी बिहार के नतीजों को “चौंकाने वाला” बताया और कहा कि यह चुनाव शुरू से ही निष्पक्ष नहीं था। उन्होंने भरोसा जताया कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन इन परिणामों की गहराई से समीक्षा करेंगे। पार्टी नेताओं की बैठक में बिहार में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन पर विस्तार से चर्चा की गई, जहां पार्टी 61 सीटों पर चुनाव लड़कर केवल छह सीटें जीत पाई यह 2010 के बाद कांग्रेस का बिहार में दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन है।
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