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Nitish Katara murder case : Supreme Court ने Vikas Yadav की अंतरिम जमानत दो सप्ताह और बढ़ाई

सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी है ताकि वह अपनी बीमार मां की देखभाल कर सके, जिनकी एम्स में हाल ही में सर्जरी हुई है। विकास यादव को 24 अप्रैल को पहली बार अंतरिम जमानत मिली थी।

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Jyoti Yadav
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार,17 जून को 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड में 25 साल की जेल की सजा काट रहे दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत अवधि दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी, ताकि वह अपनी बीमार मां की देखभाल कर सके। विकास यादव को 24 अप्रैल को अंतरिम जमानत दी गई थी, जिसे 8 मई को बढ़ा दिया गया था। मंगलवार को न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति मनमोहन ने राहत अवधि दो सप्ताह के लिए और बढ़ा दी, ताकि यादव अपनी मां की देखभाल कर सके, जिनकी नई दिल्ली के एम्स में सर्जरी हुई थी। हालांकि, शीर्ष न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यादव की अंतरिम जमानत को अब और नहीं बढ़ाया जाएगा। उसने मामले की सुनवाई जुलाई के लिए स्थगित कर दी।

मां से मिलने के लिए अंतरिम जमानत दी थी

विकास यादव के वकील ने कहा कि चूंकि सर्जरी 25 मई को की गई थी, इसलिए उनकी मां को ऑपरेशन के बाद देखभाल की आवश्यकता है और घर पर भाई-बहन या किसी और के नहीं होने के कारण यादव को ही उनकी देखभाल करनी होगी। गत 8 मई को शीर्ष न्यायालय ने एम्स मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर विचार किया, जिसमें कहा गया था कि यादव की मां की हालत स्थिर है और उन्हें छुट्टी दी जा सकती है। शीर्ष अदालत ने 24 अप्रैल को यादव को अपनी बीमार मां से मिलने के लिए अंतरिम जमानत दी थी और निर्देश दिया कि एम्स के चिकित्सकों के एक मेडिकल बोर्ड द्वारा उनकी जांच की जाए। शीर्ष अदालत ने शर्तें लागू करते हुए दोषी को गाजियाबाद में अपने घर में ही सीमित रहने और कटारा की मां नीलम कटारा सहित मामले के गवाहों से संपर्क नहीं करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने उसे 1 लाख रुपये के मुचलके और इतनी ही जमानत राशि जमा करने की शर्त पर राहत दी। 

कौन है विकास यादव

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विकास उत्तर प्रदेश के राजनेता डी पी यादव का बेटा है। उसके चचेरे भाई विशाल यादव को भी कटारा के अपहरण और हत्या के लिए सजा सुनाई गई थी। दोनों विकास की बहन भारती यादव के कटारा के साथ कथित प्रेम संबंध के खिलाफ थे, क्योंकि वे अलग-अलग जातियों से थे। एक अन्य दोषी सुखदेव पहलवान को बिना किसी छूट के 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई। इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने विकास और विशाल यादव को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए दोनों को बिना किसी छूट के 30 साल की सजा सुनाई थी। उसने तीसरे दोषी पहलवान को 25 साल की जेल की सजा सुनाई थी। दिल्ली जेल प्रशासन ने पिछले साल यादव के आचरण को असंतोषजनक पाए जाने के बाद उसकी छूट की मांग को खारिज कर दिया था। 

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