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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर सोमवार को एक वकील द्वारा जूता फेंकने की कोशिश के कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर उनसे बात की और इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि "हमारे समाज में इस तरह के निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। पीएम सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखे पोस्ट में कहा, "आज सुप्रीम कोर्ट परिसर में उन पर हुए हमले से हर भारतीय नाराज़ है। हमारे समाज में इस तरह के निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। यह पूरी तरह से निंदनीय है।" उधर, बार काउंसिल आफ इंडिया ने वकील राकेश की सदस्यता निलंबित कर दी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई जी से बात की। आज सुप्रीम कोर्ट परिसर में उन पर हुए हमले से हर भारतीय आक्रोशित है। हमारे समाज में इस तरह के निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। यह पूरी तरह से निंदनीय है। मैं ऐसी स्थिति में न्यायमूर्ति… pic.twitter.com/i23IWo6uht
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 6, 2025
71 वर्षीय वकील ने थी जूता फेंकने की कोशिश
उल्लेखनीय है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब एक 71 वर्षीय वकील ने सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश गवई पर जूता फेंका। जब उन्हें बाहर ले जाया जा रहा था, तो उन्होंने चिल्लाकर कहा, "भारत सनातन धर्म का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा।"यह घटना मध्य प्रदेश में क्षतिग्रस्त विष्णु प्रतिमा की पुनर्स्थापना से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की "जाओ और भगवान से पूछो" वाली विवादास्पद टिप्पणी के लिए व्यापक रूप से आलोचना के कुछ ही हफ़्ते बाद हुई है।
चीफ जस्टिस के धैर्य की प्रशंसा
प्रधानमंत्री ने इस घटना के दौरान धैर्य और संयम बनाए रखने के लिए मुख्य न्यायाधीश गवई की प्रशंसा की और कहा "मैं ऐसी स्थिति में न्यायमूर्ति गवई द्वारा प्रदर्शित धैर्य की सराहना करता हूँ। ह हमारे संविधान की भावना को मजबूत करने तथा न्याय के मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।” एक चौंकाने वाली सुरक्षा चूक में न्यायालय में सोमवार को कार्यवाही के दौरान 71 वर्षीय एक वकील ने सीजेआई गवई की ओर जूता उछालने की कोशिश की।
भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) ने आरोपी वकील का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपी के कब्जे से एक नोट मिला जिस पर नारा लिखा था, “सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।” अदालती कार्यवाही के दौरान और उसके बाद हुई इस अभूतपूर्व घटना से अविचलित रहे प्रधान न्यायाधीश ने अदालत के अधिकारियों और अदालत कक्ष में मौजूद सुरक्षाकर्मियों से कहा कि वे इसे नजरअंदाज करें और राकेश किशोर नामक दोषी वकील को चेतावनी देकर छोड़ दें।
वाम दलों ने कहा- 'सांप्रदायिक, जातिवादी' ताकतों का काम
वामपंथी दलों ने भारत के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई पर हमले के प्रयास की निंदा की और आरोपी वकील के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो ने इस घटना को "हिंदुत्ववादी सांप्रदायिक ताकतों द्वारा समाज में फैलाए गए मनुवादी और सांप्रदायिक जहर का एक और उदाहरण" बताया । माकपा ने एक बयान में कहा, ‘‘मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का पोलित ब्यूरो भारत के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने के प्रयास की घटना की कड़ी निंदा करती है। हम मांग करते हैं कि संबंधित वकील जोकि उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन में पंजीकृत है, के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए।" इस घटना की कांग्रेस अध्यत्र मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कड़ी निंदा की है।
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