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इलाहाबाद HC का एक जस्टिस, जिसको लेकर संसद के मानसून सत्र में बरप सकता है हंगामा

संसद के मानसून सत्र की घोषणा हो चुकी है। उससे ऐन पहले कांग्रेस ने जिस तरह से सभापति से सवाल पूछा है उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि मानसून सत्र में जस्टिस शेखर यादव एक बड़ा मुद्दा बनकर उभर सकते हैं।

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Shailendra Gautam
vice president

Photograph: (file)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः कांग्रेस ने बीते दिन एक चिट्ठी लिखी। ये राज्यसभा के सभापति और देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को लिखी गई। इसका मजमून था कि वो जस्टिस शेखर यादव के महाभियोग प्रस्ताव को दबाकर क्यों बैठे हैं। कहने को तो ये एक सामान्य चिट्ठी है। लेकिन इसके मजमून को देखें तो साफ लग रहा है कि कांग्रेस के तेवर बेहद तीखे हैं। 

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मानसून सत्र से पहले कांग्रेस ने लिखी सभापति को चिट्ठी

संसद के मानसून सत्र की घोषणा हो चुकी है। उससे ऐन पहले कांग्रेस ने जिस तरह से सभापति से सवाल पूछा है उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि मानसून सत्र में जस्टिस शेखर यादव एक बड़ा मुद्दा बनकर उभर सकते हैं। एक ऐसा नाम जिसे लेकर कम से कम राज्यसभा में हंगामा होता दिख सकता है। ध्यान रहे कि कांग्रेस से पहले सीनियर एडवोकेट और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल इस मसले पर बीजेपी की सरकार पर तीखा हमला बोल चुके हैं। 

जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ 55 सांसदों ने दिया था महाभियोग प्रस्ताव

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दरअसल, शेखर यादव को लेकर पिछले साल संसद में एक प्रस्ताव 55 सांसदों ने पेश किया था। उसमें कहा गया था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस के खिलाफ महाभियोग चलाया जाए। नियमों के मुताबिक राज्यसभा में अगर महाभियोग प्रस्ताव लाना होता है तो 50 से ज्यादा सांसदों के दस्तखत की जरूरत होती है। यानि सांसदों की संख्या ठीक थी। लेकिन राज्यसभा के सभापति ने उस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया। प्रस्ताव आने के बाद उनको चाहिए था कि जिन सांसदों ने दस्तावेज सदन में रखा उनके दस्तखतों की जांच सभापति कराते। दिसंबर 2024 में ये प्रस्ताव सदन में आया था। छह माह से ज्यादा का समय हो चुका है पर कोई एक्शन नहीं। 

शेखर यादव पर एक्शन कराने को आमादा दिख रहा है विपक्ष

विपक्ष का कहना है कि सरकार शेखर यादव को बचाने का काम कर रही है। जस्टिस ने सरेआम इलाहाबाद हाईकोर्ट के परिसर में हेटस्पीच दी थी। विहिप के कार्यक्रम में उन्होंने कठमुल्ला जैसे शब्द का इस्तेमाल किया था। भारत तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना इस मसले पर कड़ा एक्शन लेने वाले थे। लेकिन जगदीप धनखड़ ने उनको ये कहकर रोक दिया कि वो इन हाउस कमेटी न बनाएं, क्योंकि महाभियोग प्रस्ताव सदन में आ चुका है। अब शेखर यादव का मसला वो देखेंगें। विपक्ष का सवाल है कि जगदीप धनखड़कर क्या रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट कुछ करता तो उसे रोक दिया। अब प्रस्ताव सदन में है तो उनको सांसदों के दस्तखत चेक कराने की फुर्सत नहीं है। विपक्ष का आरोप है कि सभापति शेखर यादव को बचा रहे हैं। लेकिन विपक्ष जिस तरह से तेवर दिखा रहा है उसमें साफ है कि मानसून सत्र का केंद्र बिंदू जस्टिस शेखर यादव होने वाले हैं।  Indian Parliament | Indian parliament debate | india parliament 

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