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रोहिणी, लालू एवं तेजस्व यादव। फाइल फोटो
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की करारी हार के बाद लालू यादव के परिवार में भूचाल आ गया है। ऐसा लगता है कि हार ने वर्षों से दबे ज्वालामुखी को धधका दिया है। बड़े बेटे तेज प्रताप की नाराजगी से लेकर रोहिणी आचार्य की भावुक बयानबाजियों तक, सबने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि राजनीतिक और पारिवारिक संकट के इस मुश्किल भरे दौर में तेजस्वी यादव इसे कैसे संभालेंगे? परिवार के भीतर उभरे तनाव को देखते हुए कई संभावित विकल्पों पर चर्चा है, जिनसे स्थिति को संतुलित किया जा सकता है। उधर, लालू प्रसाद यादव परिवार में बढ़ते विवाद से बचने की कोशिश करते हुए, लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने रविवार को रोहिणी आचार्य द्वारा बेटी के अधिकारों के भावनात्मक दावे का समर्थन किया
सुलह की पहली सीढ़ी? तेज प्रताप की वापसी
जानकारों का मानना है कि एक प्रमुख विकल्प यह है कि तेजस्वी अपने बड़े भाई तेज प्रताप को परिवार और पार्टी में सक्रिय भूमिका देकर वापस जोड़ें। इससे टूटते रिश्तों में सुधार का संकेत मिलेगा और परिवार एकजुट दिखाई देगा। हालांकि, लंबे समय से चला आ रहा तनाव यह तय करेगा कि यह समझौता टिकाऊ होगा या नहीं। जिस तरह तेज प्रताप एनडीए के नेताओं से मिल रहे हैं और उनने बयान सामने आ रहे हैं, इसकी संभावना कम ही हैं कि घर में दोबारा वापसी की राह इतनी आसान होगी।
तेज प्रताप की मदद से रोहिणी आचार्य को मनाना
कहा जा रहा है कि तेज प्रताप की वापसी की राह में अगर सफलता मिलता है तो उनकी मध्यस्थता से रोहिणी आचार्य को भी परिवार में वापस शामिल किया जा सकता है। रोहिणी की नाराजगी सार्वजनिक हो चुकी है, ऐसे में उन्हें सम्मानजनक तरीके से मनाना लालू परिवार के लिए बड़ी चुनौती है। अगर दोनों वापस आते हैं, तो यह परिवार की छवि को मजबूत कर सकता है। तेज प्रताप पहले ही रोहिणी के समर्थन में बयान दे चुके हैं। रोहिणी के अलावा दूसरी अन्य बहनें भी विद्रोही तेवर दिखा चुकी हैं। जिनमें तीन बहने रविवार को लालू का घर छोड़कर दिल्ली में रोहिणी के साथ आ गई हैं।
रोहिणी के आरोपों ने बिहार की राजनीति को झकझोरा
बता दें सोशल मीडिया "एक्स" पर एक भावुक पोस्ट में, रोहिणी आचार्य ने लिखा कि उनका अपमान किया गया, उनके साथ गाली-गलौज की गई और यहां तक कि उन्हें चप्पल से मारने की धमकी भी दी गई। उन्होंने कहा कि उन्होंने बेबसी में अपने मायके का घर छोड़ दिया। उन्होंने लिखा, "कल, एक बेटी, एक बहन, एक विवाहित महिला, एक मां को अपमानित किया गया, उसे मारने के लिए जूते उठाए गए। मैंने अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि उन्हें अपने माता-पिता लालू और राबड़ी देवी का आशीर्वाद प्राप्त है।
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मेरे पिता हमेशा मेरे साथ रहे
आचार्य ने पत्रकारों से कहा "मुझे जो कुछ भी कहना था, मैंने सोशल मीडिया पर कह दिया है। मैंने जो कुछ भी हुआ उसके बारे में झूठ नहीं बोला है। रोहिणी जो बोलती है सच बोलती है। आप तेजस्वी यादव, संजय यादव, राहेल यादव और रमीज़ से जाकर ये सब पूछ सकते हैं। मेरे पिता हमेशा मेरे साथ रहे हैं। मेरे माता-पिता और मेरी बहनें कल मेरे लिए रो रही थीं। मैं खुशकिस्मत हूँ कि मुझे उनके जैसे माता-पिता मिले हैं,"
चिराग ने किया रोहिणी का समर्थन
इस बीच लालू प्रसाद यादव परिवार में बढ़ते विवाद से बचने की कोशिश करते हुए, लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने रविवार को रोहिणी आचार्य द्वारा बेटी के अधिकारों के भावनात्मक दावे का समर्थन किया, हालांकि उन्होंने उनके आरोपों पर सीधे टिप्पणी करने से परहेज किया और यादव परिवार से मामले को जल्द सुलझाने का आग्रह किया।
केवल सुसराल ही बेटी का घर नहीं
पासवान ने कहा कि वह रोहिणी द्वारा बताई गई भावनात्मक दरार को समझते हैं, और कहा कि महिलाओं को शादी के बाद यह महसूस नहीं कराना चाहिए कि उनका मायका अब उनका नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं नहीं मानता कि शादी के बाद, ससुराल ही बेटी का एकमात्र घर होता है। मैं इस रूढ़िवादी सोच का समर्थन नहीं करता," उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि वह रोहिणी के शब्दों में "दर्द समझ सकते हैं"। "मैं पारिवारिक मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करूँगा, लेकिन मैं प्रार्थना करता हूँ कि यह विवाद जल्द ही सुलझ जाए। मैं भी ऐसी परिस्थितियों से गुज़रा हूँ।"
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