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Bihar में 3 डिप्टी CM का नया फॉर्मूला? क्या है इस सियासी बिसात के पीछे का पूरा 'खेल' | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बिहार की राजनीति में 'तीन उप मुख्यमंत्री' का फॉर्मूला वाला महागठबंधन RJD-Congress का यह दांव क्या सिर्फ दलित, मुस्लिम और EBC वोट बैंक को साधने की रणनीति है या तेजस्वी यादव की ताजपोशी का रास्ता? जानिए अब तक बिहार में कितने डिप्टी सीएम बने और क्या है इस नई सियासी बिसात के पीछे का पूरा 'खेल'।
बिहार विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच, जहां सीटों के बंटवारे पर दोनों बड़े गठबंधनों NDA और महागठबंधन में खींचतान जारी है, वहीं महागठबंधन ने अचानक 'तीन डिप्टी सीएम' का एक ऐसा दांव चल दिया है, जिसने पूरे सियासी माहौल में खलबली मचा दी है। यह सिर्फ एक घोषणा नहीं, बल्कि एक गहरा सियासी संकेत है, जिसे 'लालू की विरासत को नया रूप देने वाला मास्टरस्ट्रोक' कहा जा रहा है।
इस फॉर्मूले के तहत, अगर महागठबंधन चुनाव जीतता है तो मुख्यमंत्री की कमान तेजस्वी यादव संभालेंगे और उनके नीचे एक दलित, एक मुस्लिम और एक अत्यंत पिछड़ा वर्ग EBC समुदाय से उप मुख्यमंत्री होंगे।
सवाल यह है कि बिहार की राजनीति में उप मुख्यमंत्री का पद जो खुद एक संवैधानिक पद नहीं है, उसे लेकर इतनी बड़ी चर्चा क्यों? क्या यह सामाजिक संतुलन साधने का प्रयास है या फिर गठबंधन में मची महत्वाकांक्षाओं की होड़ को शांत करने की मजबूरी?
'3 डिप्टी सीएम' फॉर्मूला सामाजिक न्याय या वोटों की गणित?
राजद और कांग्रेस नेताओं ने दावा किया है कि वे अंतिम सीट समझौते के करीब हैं और इसी बीच यह तीन डिप्टी सीएम का फॉर्मूला सामने आया है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार वंशवादी आरोपों को कम करना
'3 डिप्टी सीएम' फॉर्मूले से तेजस्वी यादव पर लगने वाले 'वंशवादी वर्चस्व' के आरोपों को कम किया जा सकता है। यह दिखाता है कि सत्ता सिर्फ एक परिवार तक सीमित नहीं रहेगी। यादव-केंद्रित धुरी से बदलाव यह दलित, अति-पिछड़े और मुस्लिम समुदाय को स्पष्ट राजनीतिक प्रतिनिधित्व देता है जो राजद के अतीत की 'यादव-केंद्रित' राजनीति से अलग होने का मजबूत संकेत है।
मुकेश सहनी की चिंता: जन सुराज पार्टी के अनिल कुमार सिंह के अनुसार, यह फॉर्मूला ऐसे समय में आया है जब तेजस्वी को डर है कि विकासशील इंसान पार्टी VIP के मुकेश सहनी, जो खुद को अगला उप-मुख्यमंत्री बता रहे हैं, कहीं पाला न बदल लें। इस घोषणा से उन्हें गठबंधन में बनाए रखने का दबाव कम होगा।
राहुल गांधी का संतुलन प्रयास: कांग्रेस के प्रवीण सिंह कुशवाहा ने इसे राहुल गांधी के "सभी जातियों और वर्णों को संतुलित करने" के प्रयास के रूप में बताया है।
एनडीए और अन्य दलों ने इस फॉर्मूले को 'हवाई किले' और 'फर्जी संदेश' बताकर खारिज किया है। उनका मानना है कि महागठबंधन का तीन अंकों तक पहुंचना भी मुश्किल है, ऐसे में इतनी बड़ी घोषणाएं करना सिर्फ 'चुनावी जुमला' है। ख़ासकर तब, जब राजद ने पिछले 20 वर्षों में अपने दम पर कोई चुनाव नहीं जीता है।
सीट बंटवारे पर घमासान : चाचा-भतीजा और छोटे दलों की महत्वाकांक्षा
बिहार का चुनाव इस बार सीधे तौर पर चाचा नीतीश और भतीजा तेजस्वी के बीच सियासी जंग बनता दिख रहा है। तेजस्वी, जिन्होंने नीतीश के साथ सत्ता संभाली थी और उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं, इस बार खुद सीएम पद के निर्विवाद चेहरे के तौर पर सामने आ रहे हैं। इन सब के बीच, प्रशांत किशोर अपनी पार्टी जनसुराज के उम्मीदवारों का ऐलान करके सबसे आगे निकल गए हैं, जो बाकी गठबंधनों पर जल्दबाजी में फैसला लेने का दबाव बढ़ा रहा है।
बिहार में डिप्टी सीएम की कुर्सी का इतिहास कब, क्यों और कौन?
उप मुख्यमंत्री का पद भले ही संवैधानिक न हो, लेकिन यह हमेशा से राजनीतिक सुलह, गठबंधन संतुलन और क्षेत्रीय/जातीय प्रतिनिधित्व साधने का एक शक्तिशाली उपकरण रहा है। बिहार में इस पद का इतिहास बड़ा दिलचस्प रहा है।
बिहार के 10 उप-मुख्यमंत्रियों का सफर
अनुग्रह नारायण सिन्हा: कांग्रेस बिहार के पहले डिप्टी सीएम। उन्होंने 11 साल और 94 दिनों तक कार्य किया, जो सह-शासन के शुरुआती आदर्श को परिभाषित करता है।
कर्पूरी ठाकुर: महामाया प्रसाद सिन्हा के मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने यह पद संभाला।
जगदेव प्रसाद शोषित समाज दल: राजनीतिक अस्थिरता के दौर में मात्र 5 दिनों तक इस पद पर रहे।
सुशील कुमार मोदी BJP: 10 साल और 316 दिनों के साथ देश में उप मुख्यमंत्री के रूप में दूसरे सबसे लंबे कार्यकाल तक इस कुर्सी पर रहे।
तेजस्वी यादव RJD: 2015 से 2025 के बीच महागठबंधन के दो कार्यकालों में तीन साल से अधिक समय तक इस पद पर रहे।
तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी: NDA नीतीश की कैबिनेट में एक साथ दो डिप्टी सीएम का प्रयोग हुआ। उन्होंने संयुक्त रूप से 632 दिनों तक कार्य किया।
सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा: वर्तमान ये वर्तमान उपमुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने 28 जनवरी 2024 को पदभार ग्रहण किया था।
यह इतिहास दिखाता है कि डिप्टी सीएम की कुर्सी हमेशा राजनीतिक मजबूरी, जातीय समीकरण और गठबंधन धर्म को निभाने के लिए लाई गई है। मौजूदा फॉर्मूला भी उसी कड़ी का विस्तार है, बस इस बार संख्या तीन कर दी गई है।
चुनाव की तारीखें और दांव पर लगे समीकरण: बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए इस बार दो चरणों में चुनाव हो रहे हैं। दोनों गठबंधन और निर्दलीय उम्मीदवार पूरी ताकत झोंक रहे हैं। जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी।
'तीन डिप्टी सीएम' का फॉर्मूला
इन 243 सीटों पर महागठबंधन के लिए सामाजिक समीकरण साधने का एक बड़ा अंतिम चुनावी तीर साबित हो सकता है। यह देखने वाली बात होगी कि क्या मतदाता इस 'जातीय संतुलन' के दांव पर भरोसा करते हैं या एनडीए के विकास के एजेंडे को चुनते हैं।
चुनाव की तारीखें और दांव पर लगे समीकरण
बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए इस बार दो चरणों में चुनाव हो रहे हैं। दोनों गठबंधन और निर्दलीय उम्मीदवार पूरी ताकत झोंक रहे हैं:
चरण | मतदान की तारीख | सीटों की संख्या | नामांकन अंतिम तिथि |
पहला चरण | 6 नवंबर 2025 | 121 | 17 अक्टूबर 2025 |
दूसरा चरण | 11 नवंबर 2025 | 122 | 20 अक्टूबर 2025 |
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