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फिर चमका ब्रान्ड AK, जल्द ही दिल्ली में दिख सकते हैं अरविंद केजरीवाल

केजरीवाल ने जो सीटें जीतीं वो पहले भी उनके पास ही थीं लेकिन दिल्ली की हार के बाद इन्हें रिटेन करना भी जीत सरीखा है। माना जा रहा है कि केजरीवाल अब नेशनल पालिटिक्स में अपने पैर जमा सकते हैं।

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Shailendra Gautam
KEJRIWAL

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः देश भर में हुए उपचुनावों के नतीजे आ गए हैं। इनकी सबसे खास बात ये है कि अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर से दिखा दिया कि उनको खत्म करना इतना आसान नहीं है। हालांकि तमाम विश्लेषक मान रहे थे कि दिल्ली असेंबली चुनाव हारना केजरीवाल के लिए घातक साबित होगा। वो फिर से नहीं खड़े हो पाएंगे। अलबत्ता केजरीवाल ने खुद को फिर से खड़ा किया और दो उपचुनाव जीतकर दिखा दिया कि वो लंबी रेस के घोड़े हैं। हालांकि केजरीवाल ने जो सीटें जीतीं वो पहले भी उनके पास ही थीं लेकिन दिल्ली की हार के बाद इन्हें रिटेन करना भी जीत सरीखा है। माना जा रहा है कि केजरीवाल अब नेशनल पालिटिक्स में अपने पैर जमा सकते हैं।

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केजरीवाल का संसद में पहुंचना आप के लिए बेहद जरूरी

संजीव अरोड़ा की जीत के बाद राज्यसभा की सीट खाली हुई है। केजरीवाल इस सीट से संसद में पहुंचकर नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के लिए सीधी चुनौती पैदा कर सकते हैं। वैसे भी आप को केजरीवाल की दिल्ली में बेहद जरूरत है। संसद की सारी रणनीति संजय सिंह बना रहे हैं। स्वाति मालीवाल की पिटाई के मामले में संजय सिंह ने जिस तरह से प्रेस वार्ता में स्वाति की पिटाई की बात कहकर केजरीवाल को कटघरे में खड़ा किया उससे साफ है कि संजय सिंह एक अलग ही लाइन पर जा चुके हैं। केजरीवाल संसद में आएंगे तो आप को वो देश भर में पापुलर कर सकते हैं।

अन्ना आंदोलन से निकले केजरीवाल ने मोदी को दी थी सीधी चुनौती

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अन्ना आंदोलन की वजह से उभरे अरविंद केजरीवाल बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभर सकते हैं। उनका अभ्युदय ऐसा समय पर हुआ जब सारा देश नरेंद्र मोदी के पीछे था। 2014 में वो प्रधानमंत्री बन चुके थे। उसके बाद दिल्ली विधानसभा का चुनाव आया। केजरीवाल आम आदमी पार्टी बनाकर मैदान में उतरे। बीजेपी ने उनको रोकने की भरसक कोशिश की पर नहीं रोक पाई। हालांकि 70 मेंबर्स की असेंबली में केजरीवाल बहुमत हासिल नहीं कर सके पर कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार तो बना ही ली। बीजेपी के लिए यह एक बड़ा झटका था। केजरीवाल की कांग्रेस से दोस्ती लंबे समय तक कायम नहीं रही। दोनों अलग हुए तो उप चुनाव की नौबत आई। 

दिल्ली में दोबारा चुनाव हुए तो मोदी ने किरण बेदी को बनाया था मोहरा

बीजेपी इस बार केजरीवाल को बख्शने के मूड़ में नहीं थी। उनके खिलाफ अन्ना आंदोलन के दौरान उनकी हमकदम रहीं किरण बेदी को उतारा गया। कभी आईपीएस रहीं बेदी को फायरब्रांड माना जाता था। मोदी को लगता था कि वो केजरीवाल को रोक लेंगी पर वो औंधे मुंह गिर पड़ीं। केजरीवाल ने 67 सीटें जीत कर बहुमत हासिल कर लिया। उसके बाद 2020 चुनाव में भी वो जीते बावजूद इसके कि बीजेपी ने अपनी सारी ताकत उनको रोकने के लिए लगा दी थी। शाहीन बाग और न जाने क्या क्या। 

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2020 के बाद केजरीवाल का ग्राफ नीचे की तरफ आया

लेकिन उसके बाद उऩका ग्राफ नीचे आना शुरू हो गया। शराब पहले उनके मंत्री सतेंद्र जैन जेल गए और फिर सामने आया शराब घोटाला। पहले डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया जेल गए और फिर सांसद संजय सिंह। उसके बाद केजरीवाल खुद भी तिहाड़ पहुंच गए। उनके घर को लेकर भी तमाम आरोप प्रत्यारोप लगे। लोकसभा चुनाव 2024 आया तो उनकी विश्वस्त स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट का मामला सामने आया। इन सारे बखेड़ों ने केजरीवाल की इमेज पर डेंट लगाया और पहले वो लोकसभा का चुनाव बुरी तरह से हारे और फिर दिल्ली की सत्ता भी गंवा बैठे। उसके बाद से वो दिल्ली से नदारद थे। पंजाब में रहकर दिल्ली जाने का रास्ता तैयार करने में जुटे थे।  

लुधियाना की जीत कई मायनों में है खास, केजरीवाल पहुंच सकते हैं संसद

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लुधियाना पश्चिम (पंजाब) उपचुनाव में आप उम्मीदवार संजीव अरोड़ा लुधियाना पश्चिम से विजेता घोषित किए गए हैं। उन्होंने लगभग 10,637 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। लुधियाना पश्चिम सीट पर आप ने कब्जा बरकरार रखा है। इस उपचुनाव को आप के लिए अग्निपरीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है, जिसने दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही अपनी पकड़ खो दी थी। कांग्रेस के भारत भूषण आशु दूसरे स्थान पर रहे, जबकि भाजपा के जीवन गुप्ता दूसरे स्थान पर रहे।

 जनवरी में आप विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी की गोली लगने से मौत हो जाने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। लुधियाना पश्चिम उपचुनाव में आप ने पूरी ताकत झोंक दी थी। अरविंद केजरीवाल ने अरोड़ा के लिए जमकर प्रचार किया था। 1977 में सीट के गठन के बाद से कांग्रेस ने छह बार यह सीट जीती है, जबकि शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने दो बार जीत हासिल की है। भाजपा ने यह सीट कभी नहीं जीती है। 19977 में जब पहली बार इस सीट पर चुनाव हुए थे तब जनता पार्टी ने चुनाव जीता था। 

बीजेपी के हथकंडों के बाद भी गुजरात में जीत गए केजरीवाल

आम आदमी पार्टी (आप) ने सोमवार को गुजरात विधानसभा उपचुनाव में विसावदर सीट भी जीती। जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कडी सीट पर कब्जा किया। जूनागढ़ जिले के विसावदर में आप के गोपाल इटालिया (पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष) ने भाजपा के किरीट पटेल को 17,581 मतों के अंतर से हराया, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार नितिन रणपरिया तीसरे स्थान पर रहे। दिसंबर 2023 में आप विधायक भूपेंद्र भयानी के इस्तीफे के बाद उपचुनाव की जरूरत पड़ी। भयानी भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद आप की गुजरात विधानसभा में सीटें घटकर चार (डेडियापाड़ा, जामजोधपुर, बोटाद, गरियाधर) रह गईं। ये बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का गढ़ रहा है। 

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