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Photograph: (youngBharat)
नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों ने भी कमर कस ली है, परंतु कई छोटे दल बड़े राजनीतिक दलों का खेल बिगाड़ने की जुगत में हैं। बहुजन समाज पार्टी (BSP) और असदुद्दीन औवेसी की एआईएमआईएम जैसे छोटे राजनीतिक दल चुनाव में तीन मुख्य राजनीतिक दलों आप, भाजपा और कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये दल वोट काटने की रणनीति बना रहे हैं ताकि बड़े दलों का खेल बिगाड़ा जा सके। अगर छोटे दल इसमें कामयाब हो जाते हैं तो चुनाव परिणाम पर इसका असर पड़ सकता है।
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बसपा व एआइएमआइएम करेंगे रैलियां
दिल्ली में पांच फरवरी को मतदान होगा और परिणाम आठ फरवरी को घोषित किए जाएंगे। बसपा सभी 70 सीट पर चुनाव रही है, जबकि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) 10 से ज्यादा मुस्लिम बहुल सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है। दोनों दलों ने अपने प्रमुख नेताओं मायावती और असदुद्दीन ओवैसी की रैलियों की योजना भी बनाई है।
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भारतीय लिबरल पार्टी भी मैदान में
छोटे दल चुनाव में कड़ी चुनौती पेश करने के लिए कमर कस रहे हैं। वे मुस्लिम बहुल इलाकों में विभिन्न मुद्दों को हल करने, भ्रष्टाचार से निपटने और सुशासन जैसे बड़े वादे भी कर रहे हैं। इनमें से एक भारतीय लिबरल पार्टी (बीएलपी) है, जिसकी स्थापना हाल ही में अमेरिका में रहने वाले चिकित्सक मुनीश कुमार रायजादा और अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जुड़े अन्य लोगों ने की है। रायजादा ने कहा कि वे और अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का हिस्सा थे, लेकिन अब उन्होंने ‘आप’ को कड़ी टक्कर देने का फैसला किया है। लगभग 15 महीने पहले भारत लौटे रायजादा नई दिल्ली सीट से ‘आप’ प्रमुख केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लडेंगे। इस सीट से पूर्व भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा भी चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कांग्रेस ने संदीप दीक्षित को टिकट दिया है। रायजादा ने कहा, 'हम दिल्ली में दीर्घकालिक विकास करेंगे। अगर बीएलपी दिल्ली में सत्ता में आती है तो सबसे पहले हम भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (एसीसी) का गठन करेंगे।'
दिल्ली चुनाव में बीएसपी का प्लान
दलित और वंचित समुदायों के बीच अपना आधार मजबूत करने में जुटी बहुजन समाज पार्टी ने सभी 70 सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है और उसे लगता है कि इससे उसके प्रतिद्वंद्वियों का रास्ता मुश्किल हो जाएगा। आने वाले दिनों में पार्टी मायावती की रैलियां आयोजित करने की योजना है। बसपा के केंद्रीय समन्वयक नितिन सिंह ने कहा कि पार्टी का ध्यान बेहतर अवसर प्रदान करने पर है। नितिन सिंह ने कहा, वर्ष '2008 से 2012 के बीच बसपा के पास महत्वपूर्ण वोट शेयर था। वर्ष 2008 में बसपा ने 6 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर के साथ तीन सीटें जीती थीं।
भाजपा से सीधी टक्कर चाहती है औवेसी की पार्टी
हैदराबाद से लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम 10-12 सीट पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने अब तक दो उम्मीदवारों-मुस्तफाबाद से ताहिर हुसैन और ओखला से शफा उर रहमान के नाम की घोषणा की है। दोनों पर 2020 के दिल्ली दंगा मामलों में आरोपी हैं। एआईएमआईएम की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष शोएब जमई ने कहा कि पार्टी ने पहले ही दो मजबूत उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है जो नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का प्रमुख चेहरा थे। जमई ने कहा कि पार्टी का ध्यान मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा के साथ सीधी लड़ाई पर है। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी उन निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ रैलियां कर सकते हैं जहां पार्टी ने उम्मीदवार उतारे हैं। जमई ने कहा कि अगर एआईएमआईएम कुछ सीट जीत जाती है और गठबंधन बनाए जाने की जरूरत पड़ती है, तो पार्टी भाजपा को रोकने के लिए दूसरे दलों के साथ गठबंधन कर सकती है. पार्टी ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के अभाव, आवास और यातायात से जुड़ी समस्याओं जैसे मुद्दों को हल करने का वादा किया है। भाजपा गठबंधन के सहयोगी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले की पार्टी भी इन चुनावों में अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर चुकी है। देखना दिलचस्प होगा कि पार्टियां कैसा रंग जमाती हैं और किसकी खेल बिगाड़ती या बनाती हैं।
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