नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। #Emergency1975 | आपातकाल के काले अध्याय के 50 साल पूरे होने पर भाजपा ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक बहुत ही मार्मिक और अंदर तक चोट करने वाली कविता शेयर की है। आईए सबसे पहले कविता की ये लाइनें पढ़ें:
"जब सत्ता डगमगाई, तो संविधान को कुचल दिया,
अपने भविष्य के लिए, पूरे देश का वर्तमान बंधक बना लिया।
लोकतंत्र की हत्या कर, अभिव्यक्ति को कैद किया,
और देश पर तानाशाही का अंधेरा थोप दिया।
25 जून, 1975 — वो काला दिन जब 'मैं' का अहंकार, 'हम' की आजादी पर भारी पड़ा।
याद रखेगा भारत..."
13 मिनट के वीडियो में बयां की काली कहानी
भाजपा ने आपातकाल की बरसी पर की गई पोस्ट के साथ एक 13 मिनट और 11 सेकंड का वीडियो भी अपलोड किया है। इस वीडियो में भगवान राम को सीता और लक्ष्मण के सााथ वनवास जाते दिखाया गया है और बताया गया है यह वह देश है जहां पिता के आदेश पर श्रीराम ने सत्ता को मोह छोड़ बनवास चुना, लेकिन इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए संविधान और लोकतंत्र का गला घोंटते हुए देश में आपातकाल लागू कर दिया।
लोकतंत्र के इतिहास में काला दिन
25 जून 1975- एक ऐसी तारीख, जिसे भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में काले दिन के रूप में याद किया जाता है। उस दिन जब एक व्यक्ति के सत्ता के मोह और अहंकार ने देश की आजादी, अभिव्यक्ति और नागरिक अधिकारों को बंदी बना लिया। 25 जून 1975 की काली तारीख हमें याद दिलाती है कि लोकतंत्र कोई स्थायी विरासत नहीं, बल्कि हर दिन उसकी रक्षा करनी पड़ती है।जब 'मैं' का अहंकार, 'हम' की आज़ादी पर हावी हो जाए, तो देश सिर्फ भूगोल नहीं, उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाता है।
आपातकाल की घोषणा: लोकतंत्र का गला घोंटा गया
तत्कालीन प्रधानमंत्री
इंदिरा गांधी ने चुनाव रद्द होने और आलोचनाओं से घबराकर देश में आपातकाल लागू कर दिया।
मीडिया पर सेंसरशिप, विरोधियों की गिरफ्तारी, और नागरिक स्वतंत्रता का पूर्ण हनन किया गया।
संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश को बिना युद्ध के एक अदृश्य युद्ध में धकेल दिया गया।
क्या हुआ था इस दौरान:
- जेलें भर दी गईं - नेता, कार्यकर्ता, पत्रकार, छात्र तक कैद किए गए।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीन ली गई - प्रेस पर सेंसर, अखबारों के दफ्तरों में ताले।
- जबरन नसबंदी - गरीबों को जबरन बाँध कर ऑपरेशन कराया गया।
- लोकतंत्र का गला घोंटा गया - संविधान मात्र दिखावे का दस्तावेज बनकर रह गया।