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Emergency1975: कौन थे चाय के लिए अनशन करने वाले गिरीश पांडेय, इंदिरा गांधी को किया था सत्ता से बेदखल

जानिए गिरीश नारायण पांडेय कौन थे, जिनकी गवाही से इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द हुआ और देश में आपातकाल लागू किया गया। उन्होंने जेल में यातनाएं सहीं, लेकिन झुके नहीं। जानिए उनके संघर्ष और राजनीतिक जीवन की पूरी कहानी।

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Dhiraj Dhillon
Girish Narayan Pandey

Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। 1975 में जब भारत में आपातकाल लगाया गया, तो उसके पीछे जो अहम घटनाएं थीं, उनमें एक नाम था Girish Narayan Pandey. रायबरेली लोकसभा चुनाव में Indira Gandhi की जीत को चुनौती देने वाले समाजवादी नेता राजनारायण के केस में मुख्य गवाह के रूप में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। गिरीश नारायण पांडेय उन चंद लोगों में थे, जिन्होंने सत्ता के दबाव में झुकने से इनकार किया। उन्होंने अपनी गवाही से न सिर्फ इंदिरा गांधी की सत्ता को हिला दिया, बल्कि आपातकाल जैसे अध्याय को इतिहास में दर्ज करवा दिया। उनका संघर्ष लोकतंत्र की रक्षा की मिसाल है।
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इंदिरा गांधी का चुनाव कैसे हुआ रद्द?

Politics:1971 में रायबरेली से इंदिरा गांधी ने चुनाव जीता था। समाजवादी नेता राजनारायण ने हाईकोर्ट में इस चुनाव को चुनौती दी। लालगंज निवासी गिरीश पांडेय ने कोर्ट में गवाही दी कि इंदिरा गांधी ने सरकारी संसाधनों का चुनाव में दुरुपयोग किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सचिव यशपाल कपूर चुनाव अभियान चला रहे थे। इस आधार पर हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया। कहा जाता है कि इससे बौखलाकर देश में आपातकाल लागू कर दिया गया।

गिरफ्तारी और यातनाओं की कहानी

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Emergency के दौरान तमाम नेताओं की गिरफ्तारियां हुईं। 3 जुलाई, 1975 को गिरीश पांडेय को उनके घर से पुलिस उठा ले गई। पांच दिन तक परिजनों को भी यह पता नहीं चल सका कि वे कहां गए। उन्हें बिना किसी वारंट या सूचना के जेल में डाल दिया गया। गिरीश पांडेय को 11 माह तक रायबरेली की जेल में बंद रखा गया। एफआईआर में झूठे आरोप लगाए गए थे कि वे हथियारों से लैस होकर शासन विरोधी मीटिंग कर रहे थे। जेल में नाश्ता और चाय तक नहीं दी गई, उन्होंने चाय के लिए अनशन किया।

झुके नहीं, डिगे नहीं- गवाही के बदले मिले प्रलोभन

गिरीश पांडेय के बेटे अनूप पांडेय बताते हैं कि कांग्रेस नेताओं ने उन्हें पैसे, टिकट, राज्यसभा की सदस्यता तक का लालच दिया, लेकिन उन्होंने इंदिरा के खिलाफ सच्चाई से गवाही दी। अनूप पांडेय के मुताबिक तत्कालीन DM और SP ने उन्हें “खतरनाक आदमी” कहा था। आपातकाल के बाद वे भाजपा की ओर से सरेनी विधानसभा से दो बार विधायक चुने गए और कल्याण सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। गिरीश पांडेय RSS के सक्रिय कार्यकर्ता रहे और जीवन पर्यंत भाजपा से जुड़े रहे। 28 मार्च, 2025 को उनका निधन हो गया और इससे एक दिन पहले ही उनकी पत्नी चल बसी थीं।

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