नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
One Nation One Election: 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का मुद्दा लगातार सुर्खियों में है। इस विधेयक को लेकर बुधवार को संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक हुई। बैठक के दौरान विपक्षी दलों ने 'एक देश एक चुनाव' की व्यवहारिकता और लागू होने पर सवाल खड़े किए। खास बात ये है कि बीजेपी के सहयोगी दल जेडीयू ने भी इस बिल पर सवाल खड़े किए हैं।
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JPC की पहली बैठक में क्या हुआ?
बुधवार को जेपीसी की पहली बैठक हुई। जानकारी के मुताबिक, विपक्षी दलों ने बिल को लेकर कहा कि एक देश एक चुनाव का विचार संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। वहीं इस बिल को लोकतांत्रिक अधिकारों को नकारने वाला भी बताया गया। बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने बार-बार सरकार गिरने की स्थिति में चुनाव खर्च को लेकर चिंता जताई है। बैठक के दौरान समिति को विधि मंत्रालय से संबंधित दस्तावेज और आवेदन सौंपे गए। समिति के हर सदस्य को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट की प्रति दी गई। इसके अलावा 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लेकर पिछले विधि आयोग की और संसदीय समिति की रिपोर्ट भी सौंपी गई।
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2 विषयों की जांच कर रही जेपीसी
आपको बता दें कि 39 सदस्यों वाली जेपीसी 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लेकर 2 विधेयकों की जांच कर रही है। लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकाल को एक साथ कराने के लिए संविधान संशोधन विधेयक और केंद्र शासित प्रदेशों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए संबंधित अधिनियमों में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पर जेपीसी समिति द्वारा जांच की जा रही है।
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'एक देश एक चुनाव' बिल
'एक राष्ट्र एक चुनाव' बिल का विपक्ष लगातार विरोध कर रहा है। इस विधेयक को 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। 269 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में और 198 ने इसके खिलाफ वोट किया था। जिसके बाद विधेयक की जांच के लिए 39 सदस्यों की जेपीसी का गठन किया गया था, जिसमें 27 लोकसभा और 12 राज्यसभा के सदस्य शामिल हैं।
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