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डॉ रचना गुप्ता,वरिष्ठ पत्रकार , लेखिका,शिमला
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लंबी चली तो जद्दोजहदके बाद भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल में अपनी नई ब्रिगेड तैयार कर दी है। मंडी के अधिपत्य वाली इस टीम में जहां जेपी नड्डा का अक्स पूरी तरह से दिखाई देता है, वहीं जयराम खेमे के कई नेताओं ने पाला बदल कर बिंदल का दामन थाम, संगठन में अपनी जगह मज़बूती से बना ली है। टीम मीर पुराने मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है, लेकिन महिलाओं में वही गिनी-चुनी हस्तियां दोहराई गई हैं। नए महिला चेहरों को शामिल करने के बजाय सिर्फ़ पुराने चेहरों के पद बदले गए हैं। पार्टी की वरिष्ठ महिला नेत्री इंदु गोस्वामी को संगठन में इस बार किसी भी प्रदेश स्तरीय जिम्मेदारी में जगह नहीं मिल पाई है।मंडी को तरजीह देकर वहां एक तरह से समानांतर पावर सेंटर खड़ा कर दिया गया है, लेकिन बिलासपुर ज़िला संगठन को अपेक्षाकृत हाशिए पर डाल दिया गया है।
आरक्षण के आधार पर दलबदलुओं को भी प्राथमिकता
संगठन में जातीय संतुलन साधने की कोशिश तो की गई है, लेकिन आरक्षण के आधार पर दूसरे दलों से आए नेताओं के लिए भी दरवाज़े खोल दिए गए हैं। चार पुराने मंत्रियों की छुट्टी कर दी गई है, वहीं जिन नए विधायकों को संगठन में जगह मिली है, वे बड़े कद्दावर नेता नहीं माने जाते।संगठन में ऐसे भी ज़्यादातर लोग शामिल किए गए हैं, जो आने वाले चुनावों में खुद ही टिकट के चाहवान हैं। इनमें से कईयों को तो पिछले चुनावों में टिकट तक नहीं मिला था। लिहाज़ा, संगठन में शामिल लगभग सत्तर फ़ीसदी ऐसे नेता हैं, जिन्होंने पहले मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के खेमे से पाला बदलकर ,जे.पी. नड्डा के दिल्ली दरबार में हाज़िरी भरनी शुरू कर दी थी। दूसरी ओर, बिलासपुर और कांगड़ा ज़िले से नड्डा के खासमखास त्रिलोक जाम्वाल और त्रिलोक कपूर – दोनों को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इस तरह बिलासपुर में मंडी की तरह ज़्यादा पॉवर सेंटर बनने से बचा गया है। वहीं,रास सांसद इंदु गोस्वामी की संगठन में एंट्री इस बार भी रोक दी गई है।
राजीव बिंदल की ताजपोशी नड्डा की पसंद
टीम बिंदल, या यूं कहें कि टीम जेपी नड्डा, को संगठन को विपक्षी पार्टी कांग्रेस के मुकाबले में नए प्राण देने के लिए तैयार किया गया है। हालांकि इसमें क्षेत्रीय असंतुलन साफ़ दिखाई देता है और नए चेहरों को आगे बढ़ाने की दिशा में भाजपा पूरी तरह उदार नहीं दिखी है।बता दें कि संगठन में डॉ. राजीव बिंदल की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी सीधे तौर पर नड्डा की पसंद का नतीजा मानी जा रही है। यही वजह है कि भाजपा के दूसरे खेमों को इस बार बड़ा झटका लगा था । इसी वजह से उनके काफ़ी लोग नड्डा, बिंदल, सौदान सिंह की शरण में चले गए थे।
कांग्रेस के बागियों के लिए भी दरवाज़ा खोला
उधर, दूसरी ओर चौपाल के विधायक बलबीर वर्मा को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मिलने से भाजपा ने कांग्रेस के बागियों के लिए भी दरवाज़ा खोल दिया है। बलबीर कभी कांग्रेस से जुड़े रहे थे, लेकिन बाद में भाजपा का टिकट लेकर चुनाव जीतते रहे। हाल ही में कांग्रेस के कई विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। अब बलबीर की एंट्री के साथ ही उनकी अपेक्षाएँ भी बढ़ गई हैं।प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस की कुशल और चतुराई भरी शासन-शैली को पलटना भाजपा की नई टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। साथ ही यह देखना भी अहम होगा कि विधायक दल और संगठन कैसे समन्वय बिठाते हैं
समन्वय उतना मज़बूत नहीं
फिलहाल तो संगठन और सरकार के स्तर पर समन्वय उतना मज़बूत नहीं दिख रहा जितना कांग्रेस को नकेलने के लिए जरूरी है । संगठन से जुड़े हुए और अन्य विधायक भी उस तैयारी के साथ आगे नहीं आ रहे, जैसी पार्टी को प्रदेश स्तर पर अपेक्षित है। नेताओं का ध्यान अभी केवल अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों तक ही सीमित है। जबकि कांग्रेस संगठनात्मक तौर पर कमज़ोर होने के बावजूद पूरे प्रदेश में भाजपा पर आक्रामक तेवर बनाए हुए है। यही ठीक करना सबसे बड़ी चुनौती भाजपा की नई टीम के सामने खड़ी है।JP Nadda Himachal BJP | JP Nadda | Himachal Politics | BJP strategy Himachal
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