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Judge cash scandal: सीजेआई ने जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति, पीएम को भेजी, जस्टिस वर्मा का इस्तीफे से इनकार

दिल्ली हाई कोर्ट जज कैश कांड में एक अहम मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने मामले की जांच करने वाली 3 सदस्यीय इन हाउस कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी है।

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Mukesh Pandit
जस्टिस यशवंत वर्मा, कैश मामला

Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। Judge cash scandal दिल्ली हाई कोर्ट जज कैश कांड में एक अहम मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने मामले की जांच करने वाली 3 सदस्यीय इन हाउस कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी है। जिस जज जस्टिस यशवंत वर्मा पर अवैध कैश रखने का आरोप है, चीफ जस्टिस ने उनका जवाब भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा है। चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों से चर्चा के बाद यह कदम उठाया है। यह मामला न्यायपालिका की सुचिता से जुड़ा है। इसलिए कोर्च के साथ-साथ आम आदमी की निगाहें इस पर टिकी हैं। 

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जानकारों मानें तो यह जस्टिस वर्मा को पद से हटाने के लिए संसद में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने का पहला कदम नजर आ रहा है। यह बात पहले ही चर्चा में आ चुकी थी कि जांच कमिटी ने जज के घर पर भारी मात्रा में कैश के जलने और बाद में उसके अवशेष वहां से हटा दिए जाने की पुष्टि की है। : delhi highcourt | Delhi high court | Allahabad High Court | High Court | supreme court not 

जस्टिस वर्मा ने त्यागपत्र देने से किया मना

4 मई को यह रिपोर्ट पाने के बाद चीफ जस्टिस ने जस्टिस यशवंत वर्मा से 2 दिन में जवाब देने को कहा था। जस्टिस वर्मा से कहा गया था कि वह इस्तीफा देने पर विचार करें। जिस तरह से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चीफ जस्टिस ने मामले से अवगत करवाया है, उससे साफ लगता है कि जस्टिस वर्मा ने त्यागपत्र देने से मना कर दिया है।

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14 मार्च को लगी थी आग

दिल्ली हाई कोर्ट से अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर किए जा चुके जस्टिस वर्मा के आधिकारिक निवास पर 14 मार्च की रात आग लगी थी। इसके बाद वहां कथित तौर पर बड़ी मात्रा में जला हुआ कैश मिला था. मामले में पूरी पारदर्शिता बरतते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने घटना के वीडियो समेत सभी उपलब्ध तथ्य सार्वजनिक कर दिए थे।

3 जजों की जांच कमिटी का हुआ था गठन

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चीफ जस्टिस खन्ना ने 22 मार्च को मामले की आगे जांच के लिए 3 जजों की जांच कमिटी का गठन किया था। इस कमिटी के सदस्य थे- पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जी एस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन।
25 मार्च को जांच की शुरुआत करते ही कमिटी ने 30 तुगलक क्रीसेंट यानी जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले का दौरा किया।

तीनों जजों ने उसे कमरे का मुआयना किया, जहां आग लगी थी। कमिटी ने घटनास्थल की वीडियोग्राफी भी करवाई। जांच कमिटी ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर, दिल्ली फायर विभाग के प्रमुख और घटनास्थल पर मौजूद पुलिसकर्मियों, फायर विभाग से बात की। जस्टिस वर्मा के स्टाफ, सुरक्षा कर्मी और परिवार के सदस्यों से भी कमिटी ने बात की। 

कमिटी ने जस्टिस वर्मा का बयान दर्ज किया

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कमिटी के सदस्यों ने जस्टिस यशवंत वर्मा से मिल कर उनका बयान भी दर्ज किया था। कमिटी के सामने एक अहम जिम्मा यह भी था कि वह जस्टिस वर्मा और उनके स्टाफ के 6 महीने के कॉल डाटा रिकॉर्ड की तकनीकी जांच करवाए। इसका मकसद यह जानना था कि उनकी किन-किन लोगों से बातचीत होती रही है। जस्टिस वर्मा और उनके करीबी लोगों का वित्तीय लेनदेन भी जांच के दायरे में था।

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