Advertisment

ओवैसी ने किरेन रिजिजू को कह दी ऐसी बात, दोनों के बीच जमकर हुई जुबानी जंग

किरेन रिजिजू और असदुद्दीन ओवैसी के बीच जमकर जुबानी जंग हो गई। अल्पसंख्यक मुद्दे पर सोशल मीडिया पर रिजिजू के दावे और ओवैसी के जवाब ने मचाया बवाल। पढ़ें पूरी खबर।

author-image
Dhiraj Dhillon
Asaduddin Owaisi -Kiren Rijiju

Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख व हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बीच जमकर जुबानी जंग हो गई। भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर दोनों नेताओं के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तीखी बहस छिड़ गई है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब रिजिजू ने एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में दावा किया कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां अल्पसंख्यक समुदायों को बहुसंख्यक हिंदुओं की तुलना में अधिक लाभ और सुरक्षा मिलती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय अल्पसंख्यक पड़ोसी देशों में पलायन नहीं करते, जैसे भारतीय मुसलमान पाकिस्तान नहीं जाते।
Advertisment

ओवैसी का तीखा पलटवार 

किरेन रिजिजू के इस बयान पर असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा- अल्पसंख्यक अधिकार मौलिक हैं, दान नहीं। रिजिजू के बयान पर भड़के असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर एक लंबा पोस्ट लिखकर जवाब दिया। ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा, "किरेन रिजिजू, आप भारत गणराज्य के मंत्री हैं, कोई राजा नहीं। अल्पसंख्यक अधिकार मौलिक हैं, कोई दान नहीं। क्या हर दिन 'पाकिस्तानी, जिहादी या रोहिंग्या' कहलाना लाभ है? क्या लिंचिंग और मस्जिदों पर बुलडोजर चलाना सुरक्षा है? क्या गैर-मुसलमानों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना और उन्हें बहुमत देना न्याय है, जबकि मुसलमान हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड का हिस्सा नहीं बन सकते?" ओवैसी ने यह भी सवाल उठाया कि क्या अल्पसंख्यकों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाकर रखना सम्मान है।

मंत्रालय के कार्यों पर ओवैसी का हमला

Advertisment
ओवैसी ने रिजिजू के मंत्रालय पर भी निशाना साधा। उन्होंने लिखा- आपने मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप और प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति को बंद कर दिया। पोस्ट-मैट्रिक और मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति को भी सीमित कर दिया, क्योंकि इनका लाभ मुख्य रूप से मुस्लिम छात्रों को मिल रहा था। ओवैसी ने दावा किया- मुसलमान अब एकमात्र ऐसा समुदाय हैं, जिनकी उच्च शिक्षा में भागीदारी घटी है और उनकी स्थिति उनकी पिछली पीढ़ियों से भी बदतर हो गई है। उन्होंने कहा, "मुस्लिम-केंद्रित क्षेत्रों में सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और सेवाएं सबसे कम हैं। हम केवल संवैधानिक वादों के अनुसार सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय चाहते हैं।

रिजिजू का जवाब- सबका साथ, सबका विकास

इस हमले पर किरेन रिजिजू ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्याणकारी योजनाएं सभी के लिए हैं और अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय अल्पसंख्यकों को अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है। उन्होंने अपने साक्षात्कार में कहा था कि पिछले 11 वर्षों में भारत सरकार "सबका साथ, सबका विकास" के सिद्धांत पर काम कर रही है।
Advertisment
kiren rijiju | asaduddin owaisi | social media
asaduddin owaisi social media kiren rijiju
Advertisment
Advertisment