नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। मणिपुर में एक बार फिर सरकार गठन की कवायद तेज हो गई है। भाजपा नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के 10 विधायक बुधवार को इंफाल स्थित राज्यभवन पहुंचे और राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। इन विधायकों में आठ भाजपा, एक नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि उन्हें कुल 44 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जो सरकार बनाने के लिए आवश्यक 31 विधायकों के आंकड़े से कहीं अधिक है।
अमित शाह को भेजा गया था समर्थन पत्र
इससे पहले 21 विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर पूर्वोत्तर में शांति और स्थायित्व बहाल करने के लिए "लोकप्रिय सरकार" बनाने का अनुरोध किया था। इस पत्र पर 13 भाजपा, 3 NPP और 2 निर्दलीय विधायकों के हस्ताक्षर थे।
समर्थन का दावा और राज्यपाल से मुलाकात
भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम ने कहा कि कांग्रेस को छोड़कर 44 विधायक नई सरकार के समर्थन में हैं। वहीं निर्दलीय विधायक सपाम निशिकांत ने बताया कि उन्होंने राज्यपाल को एक पेपर सौंपा है जिस पर 22 विधायकों के हस्ताक्षर हैं, और सभी एनडीए विधायक सरकार बनाना चाहते हैं।
मणिपुर में पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति शासन लागू है। राज्य में अस्थिरता के कारण केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया था। हालांकि, सरकार बनाने को लेकर भाजपा हाईकमान ने अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है।
जान लीजिए बहुमत का गणित
मणिपुर विधानसभा की कुल 60 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए कम से कम 31 विधायकों का समर्थन आवश्यक है। एनडीए विधायकों ने दावा किया है कि उनके पास 32 विधायकों का स्पष्ट समर्थन है, जो उन्हें सरकार गठन के लिए सक्षम बनाता है। मणिपुर में लंबे समय से जारी राजनीतिक अस्थिरता के बीच एनडीए ने एक बार फिर सरकार बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। अब राज्यपाल के फैसले पर नजरें टिकी हैं कि क्या वे नई सरकार गठन के दावे को स्वीकार करेंगे या राष्ट्रपति शासन जारी रहेगा।