मणिपुर में जारी राजनीतिक अस्थिरता और कानून-व्यवस्था की गंभीर स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया है। राज्य में लंबे समय से जातीय हिंसा, प्रशासनिक विफलता और अराजकता का माहौल था, जिसके चलते सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा था। राज्य सरकार की स्थिति कमजोर होने और हालात पर काबू पाने में असमर्थता को देखते हुए अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है।
केंद्र के नियंंत्रण में आ जाती है राज्य की सत्ता
संविधान के अनुसार यदि किसी राज्य में सरकार संवैधानिक रूप से काम करने में असमर्थ होती है या बहुमत साबित करने में विफल रहती है तो राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है। इस दौरान राज्य की सत्ता राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार के नियंत्रण में चली जाती है और मुख्यमंत्री तथा मंत्रिपरिषद को हटा दिया जाता है। राष्ट्रपति शासन किसी भी राज्य में अंतिम उपाय के रूप में लगाया जाता है और इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत ही हटाया जा सकता है।
राज्यपाल पूरे प्रशासन को संभालेंगे
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद अब राज्य की विधायिका निलंबित या भंग कर दी गई और केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्यपाल पूरे प्रशासन को संभालेंगे। राज्य के बजट और नीतिगत फैसले भी अब केंद्र सरकार की मंजूरी से ही लिए जाएंगे। शुरुआत में यह शासन छह महीने के लिए लागू किया गया है, लेकिन जरूरत पड़ने पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मणिपुर में लगातार बढ़ रही हिंसा और अस्थिरता के कारण राज्य में शांति बहाल करने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था। अब देखना होगा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान हालात कितने सुधरते हैं और राज्य में स्थिरता कब तक वापस आती है।
किन हालातों में लगाया जाता है राष्ट्रपति शासन ?
- संवैधानिक तंत्र की विफलता : यदि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर पा रही हो।
- बहुमत खो देना : यदि मुख्यमंत्री बहुमत साबित नहीं कर पाते हैं और वैकल्पिक सरकार बनाने का कोई रास्ता नहीं बचता।
- कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या : जब राज्य में अराजकता फैल जाती है और राज्य सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल हो जाती है।
- चुनाव में अस्थिरता : यदि किसी राज्य में चुनाव के बाद कोई भी दल बहुमत हासिल नहीं कर पाता और सरकार बनाना असंभव हो जाता है।
- अन्य विशेष परिस्थितियां : यदि राज्य में किसी प्राकृतिक आपदा, हिंसा या विद्रोह के कारण सामान्य प्रशासन असंभव हो जाता है।
राष्ट्रपति शासन में ऐसे चलता है राज्य
- मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद बर्खास्त कर दिए जाते हैं।
- राज्य की विधायिका या तो भंग कर दी जाती है या निलंबित रहती है।
- राज्य का प्रशासन राष्ट्रपति और राज्यपाल के हाथों में चला जाता है।
- राज्य के बजट और फैसले केंद्र सरकार द्वारा लिए जाते हैं।