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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। दिल्ली की राउज एवेन्यु कोर्ट के द्वारा सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करने के मामले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सीबीआई और ईडी की कार्यशैली पर बड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा कि बीते आठ सालों में तमाम जांच एजेंसियों ने उनके और पार्टी नेताओं पर छापे मारे, मीडिया ट्रायल हुआ, यहां तक कि बच्चों के कपड़े तक खंगाले गए, लेकिन अंत में CBI ने कोर्ट में खुद कहा कि “1 रुपये का भी भ्रष्टाचार नहीं मिला।” इतने लंबे समय तक एजेंसियों के द्वारा किए गए उत्पीड़न और मानहानि के मामले में क्या किसी की जवाबदेही बनती है।
एक्स पर पोस्ट भाजपा को घेरा
मनीष सिसोदिया ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा है कि भाजपा और उनके झूठ फैलाने वाले समर्थकों को देश, सच्चाई और उस परिवार से माफी मांगनी चाहिए, जिसे आठ साल तक बदनाम किया गया। सिसोदिया ने पूछा- “क्या झूठ फैलाने वालों की कोई जवाबदेही नहीं होती?” अब जब CBI ने कोर्ट में कहा- AAP नेता सत्येंद्र जैन पर आठ साल की जांच में एक रुपये का भी भ्रष्टाचार नहीं मिला, और कोर्ट ने भी क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर इसे सही मान लिया तो उनके खिलाफ मामला दर्ज होने पर खुशियां मनाने वाले क्या सतेंद्र जैन के परिवार से माफी मांगेंगे?
8 साल की जांच, CBI-ED की रेड, मीडिया ट्रायल, बच्चों के कपड़े तक खंगाले गए… लेकिन कोर्ट में खुद CBI ने कहा - “1 रुपये का भी भ्रष्टाचार नहीं मिला।”
— Manish Sisodia (@msisodia) August 5, 2025
तो जिन्होंने झूठा केस गढ़ा, जिन्होंने Satyendar Jain को विलेन बनाकर चैनलों पर चीख-चीखकर TRP बटोरी? जिन्होंने “भ्रष्टाचार उजागर” की… pic.twitter.com/XzfkeosxvH
जानिए क्या था मामला?
सत्येंद्र जैनपर आरोप था कि दिल्ली सरकार में लोक निर्माण विभाग (PWD) मंत्री रहते हुए उन्होंने विभाग के लिए 17 सलाहकारों की नियुक्ति आउटसोर्सिंग के माध्यम से की थी। यह आरोप लगाया गया कि इस प्रक्रिया में मानक सरकारी भर्ती नियमों की अनदेखी की गई। इस मामले में सतर्कता विभाग की शिकायत पर मई 2019 में FIR दर्ज की गई थी।
CBI की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
Satyendra Jain:CBI ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में बताया कि विभाग की तत्काल जरूरतों के चलते पेशेवर सलाहकारों की नियुक्ति जरूरी थी और प्रक्रिया पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी रही। जांच के दौरान एजेंसी को भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश या किसी तरह के अनुचित लाभ का कोई प्रमाण नहीं मिला।
कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि “सिर्फ संदेह के आधार पर किसी को आरोपी ठहराना कानून के खिलाफ है। कार्यवाही चलाने के लिए ठोस सबूत जरूरी होते हैं।” इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि भविष्य में कोई नया सबूत सामने आता है, तो CBI को दोबारा जांच करने की पूरी स्वतंत्रता होगी।