नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
New Delhi Vidhansabha Seat: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर देश की सियासत गरमाई हुई है। नई दिल्ली विधानसभा सबसे हाई प्रोफाइल सीट बन गई है। दरअसल, नई दिल्ली विधानसभा सीट से दिल्ली के पूर्व सीएम और AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल चुनावी मैदान में हैं। इस सीट की लड़ाई दिलचस्प इसलिए है, क्योंकि पूर्व सीएम केजरीवाल का मुकाबला दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों से है। बीजेपी ने नई दिल्ली से प्रवेश वर्मा और कांग्रेस ने संदीप दीक्षित को उम्मीदवार बनाया है।
नई दिल्ली विधानसआ सीट का इतिहास
नई दिल्ली विधानसभा ऐसी सीट है, जिसने 27 साल तक दिल्ली को मुख्यमंत्री दिया है। सबसे पहले ये सीट उस वक्त सुर्खियों में आई थी, जब सीएम शीला दीक्षित नई दिल्ली से सीट से विधायक चुनी गईं थी। 1998 में शीला दीक्षित नई दिल्ली से विधायक चुनी गईं थी। दीक्षित 3 बार यानी 2013 तक इस सीट से विधायक रहीं। 2013 में अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को शिकस्त दी थी और तब वे वे लगातार नई दिल्ली से विधायक हैं।
नई दिल्ली विधानसभा के समीकरण
नई दिल्ली विधानसभा का ज्यादातर इलाका VVIP क्षेत्र में आता है। नई दिल्ली सीट पर ब्राह्मण वोटरों का प्रभाव है। इसके अलावा पंजाबी और खत्री समुदाय के वोटर भी बड़ी संख्या में हैं। ये फैक्टर चुनावी नतीजों पर असर डाल सकते हैं।
केजरीवाल को टक्कर दे पाएंगे प्रवेश वर्मा?
बीजेपी ने केजरीवाल को टक्कर देने के लिए प्रवेश वर्मा को टिकट दिया है। प्रवेश वर्मा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। प्रवेश वर्मा दिल्ली की राजनीति में लगातार सक्रिय हैं । उनका नाम दिल्ली के दमदार नेताओं की लिस्ट में शुमार है, यही वजह है कि बीजेपी ने उन्हें हाई प्रोफाइल सीट से उम्मीदवार बनाया है। वर्मा केजरीवाल के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्हें घेर रहे हैं।
संदीप दीक्षित लेंगे मां की हार का बदला?
कांग्रेस ने इस हाई प्रोफाइल सीट से संदीप दीक्षित को चुनावी मैदान में उतारा है। संदीप पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित के बेटे हैं। केजरीवाल से अपनी मां की हार का बदला लेने के लिए संदीप पूरा दम लगा रहे हैं।
केजरीवाल पर जनता जताएगी भरोसा?
अरविंद केजरीवाल के सामने इस बार बड़ी चुनौती है। केजरीवाल के ऊपर दिल्ली शराब नीति केस में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। वहीं वे 3 बार से लगातार विधायक हैं, ऐसे में एंटी इनकंबेंसी का डर भी केजरीवाल को सता रहा है। अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के आरोपों को निराधार बता रहे हैं और अपने आपको कट्टर ईमानदार नेता के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे हैं, हालांकि देखना होगा कि जनता केजरीवाल पर भरोसा जताएगी या नहीं।