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Exclusive: क्यों पतियों की कातिल बन रही हैं बीवियां, मनोच‍िकित्‍सक ने बताईं ये खास वजह

इंदौर के राजा रघुवंशी हत्याकांड ने एक बार फिर से पति-पत्नी के बीच के रिश्तों की खूनी इबारत लिख दी है। एक साल के अंतराल में ही देशभर में 25 से अधिक ऐसे मामले सामने आए हैं। मनोचिकित्सक ने कई चौंकाने वाली बातें बताईं। विस्तार से पढ़िए कातिलों की मनोदशा...

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Ranjana Sharma
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Katil Bibiyan new
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। इंदौर के राजा रघुवंशी हत्याकांड ने एक बार फिर से पति-पत्नी के बीच के रिश्तों की खूनी इबारत लिख दी है। पिछले एक साल के अंतराल में ही देशभर में 25 से अधिक ऐसे मामले सामने आए हैं जब पत्नियाें के हाथ अपने पति के खून से रंगे हैं। इन हत्याओं के पीछे अंधा प्यार है, सेक्स की भूख अथवा बेशुमार दौलत हासिल करना, यह नई सामाजिक चिंता का विषय बन गया है। एक के बाद एक कत्ल की शर्मसार कर देने वाली घटनाओं ने पति-पत्नी के रिश्तों को कलंकित कर दिया है। इन हत्याओं के पीछे क्या साजिश है, कौन सी मनोदशा है, जब पत्निया इतना बड़ा कदम उठा रही हैं, इस विषय पर यंग भारत न्‍यूज ने मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय आगरा के निदेशक व मनोचिकित्‍सक डॉ दिनेश राठौर से विस्तार से चर्चा की। इन कलंक कथाओं के पीछे का सच और कारण जानकर आप हैरान हो जाएंगे। 
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क्या कहती है मनोविज्ञान की भाषा?

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय आगरा के निदेशक डॉ दिनेश राठौर ने यंग भारत से बात-चीत करते में बताया कि इन हत्याओं के पीछे महज अपराध नहीं, बल्कि मानसिक विकृति, असंतोष और आंतरिक असुरक्षा की परतें भी छिपी हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार क्रॉनिक फ्रस्ट्रेशन (Chronic Frustration): लंबे समय तक शादी में संवाद की कमी, उपेक्षा या दुर्व्यवहार का सामना करने पर व्यक्ति गहरे तनाव में आ जाता है, जिससे दिमाग पर हिंसा हावी हो सकती है। नर-संहार की प्रवृत्ति (Pathological Aggression) कुछ मामलों में महिलाएं खुद को “शिकार” की बजाय “सज़ा देने वाली” समझने लगती हैं, जिससे वे हत्या जैसे कदम उठा लेती हैं।

नजर अंदाज़ होती मानसिक बीमारी

डॉ. राठौर बताते हैं कि बहुत सी महिलाओं में पैथोलॉजिकल एग्रेसन यानी असामान्य आक्रोश की प्रवृत्ति देखने को मिलती है, लेकिन इसे समय रहते पहचाना नहीं जाता। समय पर न दवा मिलती है और नहीं संवाद सही से हो पाता है। ऐसी स्थिति में धीरे-धीरे दिमाग खुद सजा देने वाला न्यायाधीश समझने लगता है।

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मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय आगरा के निदेशक व मनोचिकित्‍सक डॉ दिनेश राठौर
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मानसिक तनाव की सीमा टूटने पर हिंसा हो जाती है हावी

डॉ. दिनेश राठौर ने बताया कि  सोशल मीडिया के जरिए बनते एक्स्ट्रा-मैरिटल रिश्ते, और 'छल' से भरे संबंध आज तेजी से बढ़े हैं। इसका असर रिश्तों की विश्वसनीयता पर पड़ा है। पति-पत्नी के रिश्ते में अगर संवाद की जगह आरोप अपेक्षा और अविश्वास ले लें तो ये रिश्ता धीरे-धीरे टूटने लगता है। लेकिन जब मानसिक तनाव की सीमा टूट जाती है तो व्यक्ति हिंसा की राह पर चल पड़ता है वो भी अपने सबसे करीबी व्यक्ति के खिलाफ। विशेषज्ञ मानते हैं कि इन घटनाओं का बढ़ना केवल आपराधिक चिंता का विषय नहीं है, बल्कि यह भारत के सामाजिक और पारिवारिक ढांचे के भीतर गहराते तनाव का संकेत भी है। rajaraghuvanshi | raja raghuvanshi case | raja raghuvanshi murder | raja raghuwanshi news today | raja raghuwanshi news today l

क्रॉनिक फ्रस्ट्रेशन – चुप्पी का विस्फोट

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विवाह में लगातार संवादहीनता, तिरस्कार, अपमान या दुर्व्यवहार झेलने वाली महिलाएं मानसिक रूप से ‘क्रॉनिक फ्रस्ट्रेशन’ का शिकार हो जाती हैं। यह एक ऐसी अवस्था होती है जहाँ इंसान का धैर्य टूट जाता है और वह किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाता है।  

पाथोलॉजिकल एग्रेसन – जब 'पीड़िता' बन जाए 'सजा देने वाली

कई मामलों में महिलाएं खुद को लगातार शोषित मानती हैं। जब यह मानसिक स्थिति चरम पर पहुँचती है, तो वे ‘शिकार’ से बदलकर ‘न्यायदाता’ बनने लगती हैं। यह मानसिक प्रवृत्ति उन्हें सोचने पर मजबूर कर देती है कि "अगर मुझे दर्द मिला है, तो इसकी सज़ा मैं दूँगी।" इंदौर की घटना भी इसी और इशारा करती है। पहले से ही किसी के प्यार के जाल में फंसी सोनम की पारिवारिक दबाव में की गई शादी उसके लिए जी का जंजाल बन गई। प्यार पाने की खातिर उसने अपने पति के कत्ल का ही प्लान तैयार कर लिया।
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यह भी कारण ऐसी घटनाओं के

  • बदलते सामाजिक मूल्यों के बीच नैतिक संतुलन गड़बड़ा रहा है।
  • विवाह को अब स्थायित्व नहीं, सुविधानुसार गठबंधन की तरह देखा जा रहा है।
  • रिश्तों में इमोशनल लिटरेसी की भारी कमी सामने आ रही है, जहां संवाद की जगह चुप्पी और साजि‍शें ले रही हैं। raja raghuwanshi news today live 
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