Advertisment

Research: दुनिया का एक ऐसा द्वीप जहां डिमेंशिया मरीज नहीं के बराबर, वजह जान हैरान हो जाएंगे आप?

2023 में न्यूरोएपिडेमियोलॉजी जर्नल में एक स्टडी प्रकाशित हुई। इस अध्ययन के अनुसार भारत की एक करोड़ से ज्यादा आबादी डिमेंशिया (मनोभ्रंश) से जूझ रही है। ये अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में दर्ज आंकड़ों के बराबर है। 

author-image
YBN News
ekariya

ekariya Photograph: (ians)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

Research: 2023 में न्यूरोएपिडेमियोलॉजी जर्नल में एक स्टडी प्रकाशित हुई। इस अध्ययन के अनुसार भारत की एक करोड़ से ज्यादा आबादी डिमेंशिया (मनोभ्रंश) से जूझ रही है। ये अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में दर्ज आंकड़ों के बराबर है। 

Advertisment

दुनिया में एक ऐसा द्वीप जहां एक भी मरीज नहीं 

वहीं, 2022 में जर्नल लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक शोध का दावा है कि 2050 तक भारत में डिमेंशिया या मनोभ्रंश के मरीजों में 197 फीसदी की वृद्धि हो सकती है, जिससे देश में इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों की तादाद 1 करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी। लेकिन दुनिया में एक ऐसा द्वीप भी है जहां डिमेंशिया मरीजों की संख्या न के बराबर है!  

यह भी पढ़ें: Actor-Model Arjun Rampal ने किए महाकालेश्वर के दर्शन, भस्म आरती में हुए शामिल

Advertisment

मनोभ्रंश के लिए कई जीवनशैली विकल्प

वैसे तो कई जीवनशैली विकल्प हैं जो मनोभ्रंश के जोखिम को कम कर सकते हैं - जिसमें एक अच्छा आहार, नियमित रूप से व्यायाम, सामाजिक रूप से मिलना-जुलना और अपने दिमाग को सक्रिय रखना शामिल है। लेकिन इसके अलावा भी एक आदत आपको बचा सकती है। 

मनोभ्रंश का एक प्रमुख इंडिकेटर 

Advertisment

हाल ही में किए गए शोध से पता चलता है कि एक ऐसा पेय पदार्थ है जो कुछ ही घूंट पीने से आपके जोखिम को कम कर सकता है। जापान में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जो बुजुर्ग नियमित रूप से ग्रीन टी का सेवन करते हैं, उनके मस्तिष्क के सफेद पदार्थ (सेरिब्रल वाइट) को नुकसान कम होता है। इसको नुकसान कॉग्निटिव स्किल्स पर असर डालता है जो मनोभ्रंश का एक प्रमुख इंडिकेटर भी होता है।

दरअसल, शोधकर्ताओं ने लगभग 9,000 वयस्कों से उनकी कॉफी और चाय पीने की आदतों के बारे में एक प्रश्नावली भरने को कहा और उनके आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए ब्रेन स्कैनिंग का उपयोग किया।

Sameera Reddy ने की वेट ट्रेनिंग के बारे में अपनी 'गलतफहमी' पर बात, कहा- क्या  वजन उठाने से शरीर मोटा होता

Advertisment

ग्रीन टी मनोभ्रंश को रोकने में मदद करता

हालांकि उन्हें इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि कॉफी का सेवन संज्ञानात्मक (कॉग्निटिव) गिरावट को रोक सकता है, लेकिन उनके परिणामों ने उन्हें इस निष्कर्ष पर पहुंचाया कि ग्रीन टी पीना - विशेष रूप से दिन में तीन या अधिक गिलास - मनोभ्रंश को रोकने में मदद कर सकता है।

ये निष्कर्ष पिछले अध्ययनों से मेल खाते हैं, जिसमें माना गया कि ग्रीन टी का सेवन आपको संज्ञानात्मक गिरावट से बचा सकता है। 2022 के मेटा-विश्लेषण से पता चला कि प्रत्येक एक कप ग्रीन टी से मनोभ्रंश का जोखिम 6% कम हो जाता है। एक अन्य हालिया अध्ययन से पता चला है कि प्रतिदिन दो से तीन कप ग्रीन टी पीने से संज्ञानात्मक गिरावट का जोखिम काफी कम हो जाता है - हालांकि चार कप या उससे अधिक पीने के बाद वही प्रभाव नहीं देखा गया।

यह भी पढ़ें:Health: धूम्रपान से कम उम्र में ही बढ़ रहा Heart Attack, का खतरा, हर महीने 40-50 मरीज पहुंच रहे अस्पताल 

ग्रीन टी से हृदय रोग का जोखिम कम 

शायद यही कारण है कि ग्रीन टी को ग्रीक द्वीप इकारिया के वृद्धों में मनोभ्रंश की समस्या न के बराबर होने का एक कारण माना जाता है। इसके पीछे का मुख्य कारण ग्रीन टी का एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होना है - विशेष रूप से एपिगैलोकैटेचिन गैलेट जैसे कैटेचिन - जिनमें सूजनरोधी और कोशिका-सुरक्षात्मक गुण होते हैं, जो संभावित रूप से कैंसर और स्ट्रोक के जोखिम को कम करते हैं।

ग्रीन टी का नियमित सेवन करने से दिल अच्छी तरह से काम करता है, जिसमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है और उच्च रक्तचाप में कमी आती है। इससे हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम कम होता है। 2023 के एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग प्रतिदिन दो से चार कप ग्रीन टी का सेवन करते हैं, उनमें स्ट्रोक का जोखिम 24% तक कम हो जाता है।

यह भी पढ़ें:  Job: 8 प्रतिशत 'भारतीय नियोक्ता' इस साल ब्लू-कॉलर जॉब्स में ज्यादा महिलाओं को करेंगे नियुक्त 

आईएएनएस। 

 

Advertisment
Advertisment