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जेएनयू में एक कार्यक्रम को संबोधित करते एस जयशंकर। एक्स
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि उपमहाद्वीप में किसी भी संकट के लिए भारत को ही भरोसेमंद विकल्प होना चाहिए। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 'भारत और विश्व व्यवस्था: 2047 की तैयारी' विषय पर अरावली शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री ने कहा कि राजनीतिक अस्थिरता के परिदृश्य में भारत को स्वयं सहयोग के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा।
यह पड़ोस पहले नीति का सार है
एस जयशंकर ने कहा, यह पड़ोस पहले नीति का सार है। इस उपमहाद्वीप में किसी भी संकट के समय भारत को ही भरोसेमंद विकल्प होना चाहिए। जयशंकर ने कहा, विभाजन के परिणामस्वरूप भारत की रणनीतिक गिरावट को दूर करना होगा। विदेश मंत्री ने कहा कि विश्व में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और सहयोग के वादे से ध्यान हट रहा है। उन्होंने कहा, यह हर चीज के शस्त्रीकरण से प्रेरित है। सभी राष्ट्रों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। भारत को ऐसी अस्थिरता के बीच रणनीति बनानी होगी और आगे बढ़ना जारी रखना होगा। चुनौती इस जटिल परिदृश्य को समझने की है।
राष्ट्र के हितों की रक्षा पर जोर दिया
जेएनयू के पूर्व छात्र ने वैश्विक व्यवस्था को निरंतर आगे बढ़ाने के साथ-साथ राष्ट्र के हितों की रक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा, भारत के दृष्टिकोण से, मांग और जनसांख्यिकी की प्रेरक शक्तियां इसके उत्थान को गति प्रदान करेंगी। हमें 2047 की यात्रा के लिए विचार, शब्दावली और विमर्श तैयार करने होंगे। उन्होंने अमेरिका की शुल्क नीति का परोक्ष रूप से उल्लेख करते हुए कहा, कई समाजों में वैश्वीकरण विरोधी भावनाएं बढ़ रही हैं। शुल्क में अस्थिरता के कारण व्यापार गणनाएं प्रभावित हो रही हैं। जयशंकर ने यह संबोधन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विद्यालय द्वारा आयोजित प्रथम अरावली शिखर सम्मेलन में दिया। शुल्क अस्थिरता पर विदेश मंत्री की टिप्पणी भारत और अमेरिका के मध्य संबंधों में गिरावट के बीच आई है।
बदल रहा है वैश्विक परिदृश्य
उन्होंने कहा, अब वैश्विक परिदृश्य पर विचार करें और परिवर्तन की तीव्रता तथा उसके प्रभावों पर विचार करें। वैश्विक विनिर्माण का एक तिहाई हिस्सा एक ही स्थान में स्थानांतरित हो गया है, जिसके परिणाम आपूर्ति शृंखलाओं पर पड़ रहे हैं।’’ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर शुल्क दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिया है, जिसमें भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है। उन्होंने कहा, वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में व्यापक बदलाव आया है, अमेरिका जीवाश्म ईंधन का एक प्रमुख निर्यातक और चीन नवीकरणीय ऊर्जा का एक प्रमुख निर्यातक बन गया है।
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