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Sadhvi Pragya Thakur: जींस-टीशर्ट पहन मनचलों में खौफ पैदा करने वाली प्रज्ञा को कैसे हुआ भगवा प्रेम?

मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी हुईं प्रज्ञा कैसे साध्वी प्रज्ञा ठाकुर बनीं। जानिए साध्वी की पूरी संघर्ष यात्रा, राजनीति और विवादों से जुड़ी कहानी।

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Dhiraj Dhillon
Sadhvi Pragya Thakur (1)
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।Malegaon Blast Case: साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सिर्फ एक राजनीतिक चेहरा नहीं, बल्कि संघर्ष, आरोप, बीमारियों और सामाजिक धारणाओं से लड़ने की लंबी दास्तां है। 17 साल की यातना झेलने के बाद 2008 के मालेगांव विस्फोट केस में NIA कोर्ट ने बरी हुईं प्रज्ञा से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर बनने का सफर बड़े उतार चढ़ाव वाला रहा। कभी जींस टी- शर्ट और बॉयकट बालों वाली एक लड़की जो शोहदों को सुधारने के लिए फाइटिंग पर उतर जाती थी, के स्वभाव में इतना परिवर्तन कैसे हुआ? नि‌श्चिततौर पर यह  जानने की जिज्ञासा होना स्वभाविक है। इसी जिज्ञासा को शांत करने के लिए इस खबर को पूरा पढ़ें।

भिंड की गलियों से लेकर संसद तक का सफर

2 फरवरी, 1970 को आयुर्वेदाचार्य चंद्रपाल सिंह के घर मध्य प्रदेश के भिंड में जन्मी प्रज्ञा बचपन से ही बेबाक और मुखर स्वभाव की रही हैं। जींस-टीशर्ट पहने मोटरसाइकिल पर सवार प्रज्ञा ठाकुर कभी अपने दबंग अंदाज के ल‌िए जानी जाती थीं। उनकी मोटर साइकिल जिधर से गुजर जाती, मनचलों की जान पर बन आती। जी हां, ऐसी ही थीं प्रज्ञा ठाकुर। प्रज्ञा ने भोपाल के एमजेएस कॉलेज से एमए और विद्या निकेतन कॉलेज से बीपीडी की पढ़ाई पूरी की। इसी दौरानवह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गई और फिर अपने खास अंदाज के अनुरूप ही वह विश्व हिंदू परिषद की दुर्गा वाहिनी से जुड़ गईं। पिता चंद्रपाल सिंह पहले ही आरएसएस से जुड़े थे।

साध्वी बनने से गिरफ्तारी तक

स्वामी अवधेशानंद से प्रभावित होकर प्रज्ञा ठाकुर का मन बदल गया। वह साध्वी बन गईं और इंदौर में श्री जागरण मंच की स्थापना की। इसी दौरान 29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक बम धमाके में उनका नाम सामने आया। आरोप लगा कि धमाके में प्रयुक्त बाइक उनके नाम पर रजिस्टर्ड थी। ATS ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया, और अगले 17 वर्षों तक वे कोर्ट और अस्पतालों के बीच संघर्ष करती रहीं। बता दें कि इस दौरान वे कैंसर जैसी भयंकर बीमारी से भी लड़ रही थीं। हालांकि NIA कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि धमाके में प्रयुक्त मोटरसाइकिल का प्रज्ञा ठाकुर से संबंध साबित नहीं हुआ। धमाका मोटरसाइकिल में लगे बम से हुआ, यह भी प्रमाणित नहीं हो सका।

राजनीतिक सफर: BJP में एंट्री और सांसद बनना

प्रज्ञा ठाकुर को अप्रैल, 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिली। 2019 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली और भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़कर संसद पहुंच गईं। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के दिग्ग्ज नेता दिग्विजय सिंह को पटखनी दी थी। हालांकि, अगली बार 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। प्रज्ञा ठाकुर कई बार अपने बयानों को लेकर विवादों में रहीं। सबसे बड़ा विवाद तब हुआ जब उन्होंने नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहा। इस पर भाजपा को सफाई देनी पड़ी और पीएम मोदी ने कहा- उन्होंने माफी तो मांगी, लेकिन मैं दिल से उन्हें कभी माफ नहीं कर पाऊंगा। Sadhvi pragya | Malegaon Blast | Malegaon blast case 2008|

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