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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । वह 11 मई का दिन था, जब राजा रघुवंशी ने सोनम की मांग में सिंदूर भरा था। खुशियों से लबरेज राजा की आंखों में भविष्य के सपने तैर रहे थे। सोनम, जो उसकी नई नवेली पत्नी थी, उसके जीवन में एक नया सवेरा लेकर आई थी, ऐसा राजा को लगता था। लेकिन किसे पता था कि यह सिंदूर नहीं, बल्कि राजा के जीवन का अंतिम रंग होगा, और यह नया सवेरा नहीं, बल्कि एक खौफनाक रात की शुरुआत होगी।
राजा एक सीधा-सादा, ईमानदार और मेहनती इंसान था, जिसके लिए परिवार और रिश्ते सर्वोपरि थे। उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस सोनम को उसने अपना जीवन साथी चुना है, वह उसके लिए मौत का फरमान लेकर आएगी। सोनम के मन में तो कुछ और ही चल रहा था। उसकी आंखों में एक अलग ही दुनिया के सपने थे, जहां राजा के लिए कोई जगह नहीं थी। वह दुनिया थी राज कुशवाह की, उसका प्रेमी, जो सबके सामने उसे 'दीदी' कहता था, लेकिन चोरी-छिपे उनकी प्रेम कहानी परवान चढ़ रही थी।
शादी से पहले ही बुना गया हत्या का ताना-बाना
सोनम और राज का रिश्ता कोई नया नहीं था। वे पिछले 4-5 महीनों से एक-दूसरे के प्यार में डूबे थे। जब राज ने सोनम से शादी की बात की, तो सोनम ने अपने पिता की बीमारी का बहाना बनाया। "मेरे पापा हार्ट पेशेंट हैं," उसने कहा, "लव मैरिज बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। उन्हें कुछ हो गया, तो क्या होगा?" राज ने उसकी बात मान ली, लेकिन सोनम के दिमाग में एक शातिर योजना आकार ले रही थी। उसने राज से कहा, "पापा की मर्जी से शादी के बाद मैं अपने पति को मारकर विधवा हो जाऊंगी, फिर तुमसे शादी करूंगी। " यह बात सुनकर शायद राज भी चौंक गया होगा, लेकिन प्यार की सनक में वह भी सोनम के इस खूनी खेल का हिस्सा बनने को तैयार हो गया।
11 फरवरी को राजा और सोनम का रोका हुआ। यह वो पल था, जब राजा अपने सुनहरे भविष्य की कल्पना कर रहा था, और सोनम अपने खूनी प्लान को अंतिम रूप दे रही थी। उसने राज कुशवाह के साथ मिलकर राजा की हत्या की साजिश रची। उन्होंने लूटपाट के बहाने राजा का कत्ल करने का फैसला किया। सोनम ने सोचा, "जब मैं विधवा हो जाऊंगी, तो तुम मुझसे शादी कर लेना, तब पापा भी शादी से मना नहीं करेंगे।" कितनी क्रूर सोच थी यह! एक मासूम ज़िंदगी को खत्म करने का फैसला, सिर्फ अपनी चाहत पूरी करने के लिए।
खूनी हनीमून की सच्ची कहानी कहानी
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11 मई को राजा और सोनम की शादी हो गई। राजा खुश था, वह अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत को लेकर उत्साहित था। लेकिन यह खुशी सिर्फ 13 दिनों की थी। 16 मई को, यानी शादी के ठीक पांच दिन बाद, सोनम और उसके प्रेमी राज कुशवाह ने सुपर कॉरिडोर पर राजा रघुवंशी की हत्या का अंतिम प्लान बनाया। राज ने अपने दोस्तों, विशाल चौहान, आकाश राजपूत और आनंद कुर्मी को इस जघन्य अपराध में शामिल किया। उसी रात, राज ने छह घंटे तक फोन पर सोनम को हत्या की पूरी योजना समझाई। उसने सोनम को बताया कि कैसे राजा को बाहर ले जाना है और मारना है।
हत्या से पहले, राज कुशवाह ने आरोपियों को 50 हज़ार रुपये, एक कीपैड, एक एंड्रॉइड मोबाइल और एक नई सिम दिलाई। ये मोबाइल और सिम सोनम को दिए गए, ताकि वह शिलांग जाने के बाद इन तीनों के संपर्क में रह सकें। प्लान के मुताबिक, सोनम ने अचानक राजा को शिलांग चलने को राज़ी किया, जबकि हनीमून के लिए शिलांग का कोई प्लान नहीं था। लेकिन नई नवेली पत्नी सोनम ने कहा, तो राजा मान गया। उसे क्या पता था कि यह यात्रा ज़िंदगी की आखिरी यात्रा होगी।
हनीमून का निमंत्रण, मौत का न्यौता
20 मई को यह जोड़ा हनीमून के लिए रवाना हुआ। उन्होंने गुवाहाटी जाकर माता कामाख्या के दर्शन किए। सोनम ने राजा रघुवंशी को बिना बताए शिलांग के टिकट बुक कर लिए थे। 22 मई को, जब सोनम ने प्रेमी राज को शिलांग के लिए निकलने की बात कही, तो राज ने सुपारी किलर्स के टिकट कराए। लेकिन ऐन वक्त पर खुद ने जाने से मना कर दिया। वह इंदौर से ही सोनम और तीनों सुपारी किलर्स को निर्देश देता रहा। उसने राजा के अंतिम संस्कार में भी भाग लिया, ताकि किसी को कोई शक न हो। कितनी शातिर चाल थी यह!
मौत का तांडव और विश्वासघात का अंत
राजा को मारने के लिए तीनों सुपारी किलर्स पहले से ही असम के गुवाहाटी में मौजूद थे। उन्होंने गुवाहाटी में ही ऑनलाइन कुल्हाड़ी ऑर्डर की, जिससे राजा का कत्ल किया गया। जब सोनम और राजा शिलांग पहुंचे, तो सोनम ने उन्हें लोकेशन भेजी। सुपारी किलर्स दोनों से महज 1 किलोमीटर दूर होम स्टे में ठहरे थे। सोनम पल-पल की लोकेशन सुपारी किलर्स को दे रही थी। उन्होंने किराये की बाइक ली और राजा-सोनम के पीछे घूमने लगे।
23 मई को, जब राजा और सोनम बाइक से घूमने के लिए निकले, तो सोनम ने सुपारी किलर्स को लोकेशन दी। सोनम राजा को फोटोशूट के बहाने कोरसा इलाके में मौजूद पहाड़ी पर ले गई। सोनम जानबूझकर थकने का बहाना करके पीछे चलने लगी। तीनों किलर राजा के साथ चल रहे थे। किलर पहाड़ी चढ़ते हुए थक गए या यूं कहा कि किलर्स को भी राजा पर दया आ गई तो उन्होंने उसको मारने से इनकार कर दिया। इस पर सोनम ने राजा की पर्स से 15 हज़ार रुपये निकालकर किलर को दिए और चीख पड़ी, "मारना तो पड़ेगा, बाद में 20 लाख और दूंगी।" यह सुनकर राजा पीछे मुड़ा कि क्या हुआ, और तभी अचानक विशाल चौहान ने राजा रघुवंशी के सिर पर कुल्हाड़ी से वार किया।
आकाश राजपूत इस दौरान एक दूसरी किराए की बाइक से वहां निगरानी कर रहा था कि कोई देख न ले। आनंद ने भी राजा पर हमला किया, और राजा वहीं गिर गया। राजा ने सोनम की ओर मदद के लिए देखा, तो सोनम चीख पड़ी, "मार दो इसको।" इसके बाद खुद सोनम ने पति राजा रघुवंशी को खाई में धक्का दे दिया, जबकि इस दौरान राजा ज़िंदा था। कितनी क्रूरता थी यह! जिस पत्नी ने सात फेरे लिए थे, उसी ने अपने पति को मरने के लिए खाई में धकेल दिया।
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अपराध का पर्दाफाश और न्याय की राह
हत्या के बाद, सोनम ने अपना और राजा का फोन तोड़ दिया। किलर्स भी वापस लौट आए। सोनम अकेले शिलांग से गुवाहाटी, फिर वाराणसी आई और फिर वहां से गाजीपुर पहुंच गई। वह यहां से नेपाल भागने की फिराक में थी। इसी दौरान, शिलांग पुलिस को राजा की हत्या के बारे में अहम जानकारी मिली।
शनिवार 7 जून 2025 को, मेघालय पुलिस को एक सीसीटीवी फुटेज मिली, जिसमें सोनम राजा से थोड़ी दूरी पर खड़े होकर किसी से फोन पर चैटिंग कर रही थी। इसके बाद पुलिस के कान खड़े हुए, तो सोनम की कॉल डिटेल खंगाली गई। CDR निकालने पर राज और सोनम के सैकड़ों इनकमिंग और आउटगोइंग कॉल्स मिले। इसी से विशाल, आनंद और आकाश की जानकारी मिली। तीनों की मोबाइल लोकेशन राज और सोनम के आसपास ही थी। साइबर एक्सपर्ट ने सोनम के बैंक खातों की जानकारी निकाली, तो सोनम का पेटीएम राज कुशवाह के नाम पर मिला।
रविवार 8 जून 2025 की शाम को, शिलांग क्राइम ब्रांच के DSP विपुल दास दल लेकर इंदौर पहुंचे। उन्होंने इंदौर CP संतोष कुमार सिंह से आरोपियों को पकड़ने के लिए मदद मांगी। इसके बाद डीसीपी (अपराध) राजेश कुमार त्रिपाठी की टीम गठित की गई। शिलांग पुलिस और इंदौर पुलिस ने सादे वस्त्रों में आरोपियों के घरों की रेकी की। रात ठीक 1 बजे, टीम ने एक साथ छापा मार राज और विशाल को पकड़ लिया। अन्य आरोपी आकाश को ललितपुर और आनंद कुर्मी को बीना के खिमलासा से पकड़ लिया।
तब तक सोनम गाजीपुर पहुंच चुकी थी और नेपाल भागने की योजना बना रही थी। इसी दौरान, सोनम को प्रेमी राज कुशवाह के गिरफ्तार होने की सूचना मिली। इससे सोनम का धैर्य जवाब दे गया। वह गाजीपुर-वाराणसी फोरलेन पर नंदगंज के आकुशपुर स्थित काशी चाय जायका ढाबे पर पहुंची। सोनम ने ढाबे के मालिक साहिल यादव से उसका मोबाइल फोन नंबर मांगा और अपने भाई गोविंद को इंदौर फोन करते हुए फफक कर रो पड़ी। भाई के कहने पर, वहीं ढाबे पर पुलिस को बुलाया गया और सोनम ने सरेंडर कर दिया।
यह सारी जानकारी सोनम सहित अन्य आरोपियों ने पूछताछ में कबूल की है, और तमाम मीडिया रिपोर्ट्स ने इसी आधार पर यह सब छापा है। सोनम और राज कुशवाह के प्यार की सनक ने राजा रघुवंशी की जान ले ली। जिस राजा ने 11 मई को मुस्कुराते हुए सोनम की मांग में सिंदूर भरा था, 13 दिन बाद उसी सोनम ने राजा रघुवंशी को मार डाला। सोनम ने राज कुशवाह से कहा था कि पापा हार्ट पेशेंट हैं, इसलिए लव मैरिज नहीं कर सकती, क्योंकि पापा को कुछ हो सकता है। लेकिन इसके लिए उसने राजा रघुवंशी को मार डाला। यह कहानी बताती है कि कैसे कुछ लोगों के स्वार्थ और क्रूरता के आगे रिश्तों की मर्यादा और मानवीयता दोनों ही दम तोड़ देती हैं। राजा की ज़िंदगी का यह दुखद अंत, हमें सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर इंसानियत किस राह पर जा रही है।
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न्याय की उम्मीद
आज राजा रघुवंशी नहीं रहा, लेकिन उसकी आवाज़ अब भी उसके परिवार और दोस्तों के दिलों में गूंजती है। सोनम और उसके साथियों को सजा मिलेगी, लेकिन क्या यह राजा को वापस ला सकती है?
"क्या प्यार यही है, अगर प्रेम इतना ही बड़ा पाप है, तो फिर इंसान प्यार करे या न करे?"
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