नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
सुप्रीम कोर्ट दो सदस्यीय खंडपीठ ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है नोटिस में कहा गया है कि गंभीर धाराओं में दोषी नेताओं को आखिर संसद और विधान सभा में बैठने का अधिकार क्यों दिया जा रहा है। इस मामले में सरकार के पास क्या प्लान है जबकि चुनाव आयोग से पूछा कि आखिर ऐसे नेताओं की सदस्यता रदद क्यों नहीं कर दी जाती।
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मामलों को जल्दी निपटाने की बात
शीर्ष अदालत ने यह सवाल वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. याचिका में जनप्रतिनिाधियों के आपराधिक मामलों को जल्दी निपटाने की बात की गई है। इसके अलावा माननीयों पर चल रहे गंभीर आपराधिक मामलों की सुनवाई जल्द पूरा करने का निवेदन किया गया है..अदालत ने अटार्नी जनरल ऑफ इंडिया के माध्यम से केंद्र सरकार से सवाल किया है।
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एमपी एमएलए की सदस्यता समाप्त क्यों न हो
अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका में जनपगतिनिधि अधिनियम की धारा 8 एवं 9 की प्रासंगिता पर सवाल उठाया था। याचिका में कहा गया कि जिस प्रकार सरकारी कर्मचारियों के किसी आपराधिक मामले में दोष साबित होने पर उसकी नौकरी चली जाती है। ठीक इसी प्रकार एमपी और एमएलए की सदस्यता समाप्त क्यों नही कर दी जाती। इस मामले में दो सदस्यीय खंड पीठ ने सुनवाई करते हुए अपनी टिप्पणी में कहा कि ऐसे गंभीर मामलों की सुनवाई के लिए पूर्ण खंडपीइ जिसमें मुख्य न्यायधीश शामिल हो की आवश्यकता है। इस मामले में अदालत ने आगे सुनवाई के लिए सक्षम पीठ के पास पेश होने को कहा है।
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माननीयों के सिर पर तलवार लटक सकती है
आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट अगर कोई टिप्पणी करता है तो ऐसे जनप्रतिनिधियों के सामने समस्या आ सकती है जिन पर गंभीर आपराधिक मामलों में अदालत में केस विचाराधीन है। इसके अलावा उन माननीयों के सिर पर तलवार लटक सकती है जो गंभीर सजाओं में अदालत में दोषी करार दिए गए है।