नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। कर्नाटक के कोप्पल जिले में स्थित अंजनाद्रि बेट्टा मंदिर के पुजारी विद्यादास बाबाजी को हटाने की कोशिश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मुख्य पुजारी बाबाजी को हटाकर मंदिर पर नियंत्रण करने की कोशिश की थी। कोर्ट ने सरकार की मंशा पर पानी फेरते हुए स्पष्ट किया है कि बाबाजी को मंदिर में पूजा करने और परिसर में ही रहने की अनुमति दी जाएगी।
क्या है विवाद?
तुंगभद्रा नदी के किनारे पहाड़ी पर स्थित अंजनाद्रि मंदिर हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे भगवान हनुमान का जन्मस्थान माना जाता है। इस मंदिर की सेवा और पूजा-पाठ का कार्य पिछले 120 वर्षों से रामानंदी समुदाय करता आ रहा है, जिसमें विद्यादास बाबाजी प्रमुख पुजारी हैं। 2018 में कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1997 की धारा 23 के तहत मंदिर का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया। इस कदम को लेकर यह आरोप लगाया गया कि सरकार ने यह कार्य अवैध तरीके से किया।
बाबाजी को पूजा से न रोकने का आदेश
सरकार की इस कार्रवाई के विरुद्ध विद्यादास बाबाजी ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। 14 फरवरी 2023 को हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया कि पुजारी को पूजा-पाठ करने से रोका नहीं जाए और उनके खिलाफ कोई कठोर कदम न उठाया जाए। हाई कोर्ट के निर्देशों के बावजूद मार्च 2025 में कोप्पल जिले के डिप्टी कमिश्नर और असिस्टेंट कमिश्नर चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ मंदिर पहुंचे। उन्होंने विद्यादास बाबाजी को पूजा करने से रोका और एक नए पुजारी को नियुक्त करने की कोशिश की। याचिका के अनुसार, इस दौरान बाबाजी को धमकाया और अपमानित भी किया गया।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
कर्नाटक सरकार की इन हरकतों के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। शीर्ष अदालत ने इस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए साफ कहा कि विद्यादास बाबाजी अंजनाद्रि बेट्टा मंदिर में पूजा करते रहेंगे और उन्हें मंदिर परिसर में रहने के लिए एक कमरा दिया जाएगा।
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