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सूरत, वाईबीएन डेस्क: अमेरिका की ओर से लगाए गए 50% टैरिफ के बावजूद सूरत के हीरा उद्योग को दीर्घकालिक नुकसान का डर नहीं सता रहा है। उन्हें यकीन है कि हीरा उत्पादन में भारत की मजबूत स्थिति की वजह से अमेरिका को भारत पर निर्भर रहना पड़ेगा।
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश खंत का कहना है कि टैरिफ का प्रभाव महसूस होगा, लेकिन यह केवल अस्थायी होगा। उन्होंने कहा कि कोई भी अन्य देश भारत का स्थान नहीं ले सकता, क्योंकि विश्व के हीरा उत्पादन (प्राकृतिक हीरे की कटाई और पॉलिशिंग) में हमारा योगदान 90% है। इसलिए अमेरिका को भारत पर निर्भर रहना ही पड़ेगा।
भारत के लिए यूरोपीय देश और रूस जैसे बाजार मौजूद
दूसरी ओर हीरा निर्माता और व्यापारी जयेश पटेल ने कहा कि हर देश की अपनी आर्थिक नीतियां होती हैं । अमेरिका हीरा उद्योग के लिए एक बड़ा बाजार है, इसलिए वहां टैरिफ के कारण चुनौतियां आ सकती हैं। हालाँकि, यूरोपीय देश और रूस भी हैं जहां हम उत्पाद बेच सकते हैं। जयेश ने पीएम नरेंद्र मोदी के उस बयान का समर्थन किया जिसमें कहा गया था कि भारत को किसी भी देश के दबाव में नहीं आना चाहिए।
भारत को नए बाजार तलाशन होंगे
जयेश पटेल ने आगे कहा कि अगर यह टैरिफ जारी रहता है, तो हमें अपने व्यापार का आकार कम करना पड़ सकता है और नए बाजार तलाशने होंगे। इस बीच हीरा उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि सूरत के हीरा कारोबारी इस चुनौती का सामना कर लेंगे और नए अवसरों की खोज जारी रखेंगे।
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बता दें भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहे हैं। अमेरिका ने कई भारतीय वस्तुओं पर कस्टम टैरिफ बढ़ाए हैं। हीरा उद्योग में भारत की प्रमुख भूमिका के कारण इस टैरिफ का असर व्यापक नजर आ रहा है लेकिन उद्योग जगत आशावादी है कि जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी।
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