नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | पहलगाम आंतकी का हमले का जवाब भारत ने 6-7 मई को पाकिस्तान के 9 ठिकानों को ध्वस्त करके दिया। भारतीय सेना द्वारा किए गए इस सुनियोजित हमले को ऑपरेशन सिंदूर करार दिया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कई टेरर कैंम्प पर सटीक हमला कर ध्वस्त कर दिया। ये हमला उन ठिकानों पर किया गया जहां अब तक कई हमलों की स्क्रिप्ट लिखी गई और आंतकियों को ट्रेनिंग दी गई है। इस हमले को सफल बनाने में भारतीय सेना के साथ ही भारत के कई लड़ाकू विमान भी शामिल है।
ऑपरेशन सिंदूर में ये लड़ाकू विमान थे शामिल
पाकिस्तान को सबक सिखाने और आतंक के खात्मे के लिए किए गए ऑपरेशन सिंदूर में रफाल(राफेल) फाइटर जेट की स्कैल्प मिसाइल के साथ-साथ देश की प्राइम स्ट्राइक वेपन ब्रह्मोस को शामिल किया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश सचिव ने कहा कि इसमें प्रेशेसियन वेपन का इस्तेमाल किया गया था। माना जा रहा है कि प्रेसियन ब्रह्मोस ही था।
ब्रह्मोस मिसाइल से लैस सुखोई फाइटर जेट्स
बता दें, वायुसेना के सुखोई फाइटर जेट्स को ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया गया है। इसके साथ ही थलसेना भी जमीन से जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल को इस्तेमाल करती है। दुनिया की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को भारत ने रूस की मदद से देश में ही तैयार किया है. ब्रह्मोस भारत का प्राइम स्ट्राइक वैपेन है जिसे भारत की सबसे लंबी नदी ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नामों को मिलाकर नाम दिया गया है।
माना जाता है कि दुनिया की कोई रडार और हथियार, मिसाइल सिस्टम उसे इंटरसेप्ट नहीं कर सकता है यानी एक बार ब्रह्मोस को दाग दिया तो ब्रह्मास्त्र की तरह इसे कोई नहीं रोक सकता है और अपने लक्ष्य पर ही जाकर गिरती है और टारगेट को तबाह करके ही दम लेती है। ब्रह्मोस को बनाने वाली कंपनी, ब्रह्मोस एयरोस्पेस का दावा है कि ब्रह्मोस की रेंज 290 किलोमीटर है जबकि ऑपरेशन रेंज ज्यादा ही मानी जाती है। इसकी स्पीड 2.8 मैके है यानि आवाज की गति से भी ढाई गुना ज्यादा की स्पीड। भारत ने हालांकि, ब्रह्मोस, के एक्सटेंडेड रेंज यानी 450-500 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल भी तैयार कर ली है।
क्या है प्राइम स्ट्राइक वेपन सेना के तीनों अंग में है शामिल
ब्रह्मोस मिसाइल भारत के उन बेहद खास हथियारों में शामिल है, जिसे तीनों सेनाओं—थलसेना, वायुसेना और नौसेना—द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। यह मिसाइल भारत की संयुक्त सैन्य शक्ति का प्रतीक बन चुकी है। भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस को अपने फ्रंटलाइन फाइटर जेट सुखोई-30MKI में इंटीग्रेट कर इसे और भी घातक बना दिया है। इसी तरह थलसेना के तोपखाना (आर्टिलरी) डिवीजन में भी ब्रह्मोस को शामिल किया गया है, जिससे इसकी स्ट्राइक क्षमता कई गुना बढ़ गई है। नौसेना के युद्धपोतों को भी ब्रह्मोस से लैस कर दिया गया है, जिससे वे समुद्र से ज़मीन तक सटीक हमले करने में सक्षम हो गए हैं।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, भारत ने अब इजरायल के लॉइटरिंग म्युनिशन हारोप (Harop) का भी उपयोग शुरू कर दिया है। यह पहली बार स्पष्ट रूप से सामने आया है कि भारतीय वायुसेना इस आत्मघाती ड्रोन का प्रयोग कर रही है। 2021 में यह जानकारी आई थी कि भारत ने इजरायल से 100 हारोप ड्रोन्स की खरीद का सौदा किया है। अब तक भारतीय वायुसेना के ड्रोन आर्सेनल में केवल हेरोन और सर्चर जैसे सर्विलांस ड्रोन ही सार्वजनिक रूप से ज्ञात थे। इसके अलावा, यह भी जानकारी मिली है कि इजरायल के स्पाइस-2000 बम का इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज़्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाने में किया गया है।
ऑपरेशन सिंदूर में राफेल, सुखोई और मिराज
6 मई की रात भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के भीतर गहरे घुसकर एक सटीक एयरस्ट्राइक ऑपरेशन को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन में भारत के अत्याधुनिक फाइटर जेट—राफेल, सुखोई Su-30 MKI और मिराज 2000 को मिशन पर लगाया गया। इन विमानों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों (PoK) में स्थित संदिग्ध आतंकी अड्डों को टारगेट कर उन्हें पूरी तरह तबाह कर दिया।
इस ऑपरेशन की सबसे खास बात थी ‘स्कैल्प’ (SCALP) मिसाइल का इस्तेमाल। यह लंबी दूरी की एयर-टू-ग्राउंड क्रूज मिसाइल अपनी सटीकता और मारक क्षमता के लिए जानी जाती है। स्कैल्प मिसाइल 500 किलोमीटर से भी अधिक दूरी पर स्थित लक्ष्यों को बेहद सटीकता से निशाना बना सकती है, और इसी खासियत ने इस ऑपरेशन को अंजाम देने में निर्णायक भूमिका निभाई।