नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल सोमवार यानी 2 फरवरी को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर बनी जेपीसी की रिपोर्ट पेश करेंगे। वहीं मेधा कुलकर्णी और गुलाम अली इस रिपोर्ट को राज्यसभा में पेश करेंगे। इस रिपोर्ट में विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर विचार और साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं। इस रिपोर्ट को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पेश किया जाएगा। रिपोर्ट में उन सभी साक्ष्यों का भी रिकॉर्ड शामिल होगा, जो संयुक्त समिति के समक्ष पेश किए गए थे। यह साक्ष्य विधेयक के प्रावधानों के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए अहम हैं और इनका उद्देश्य विधेयक के प्रभावी और न्यायसंगत कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है।
विधेयक में महत्वपूर्ण सुधार प्रस्तावित
इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, संचालन और निगरानी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुधार प्रस्तावित किए गए हैं। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के उपयोग में सुधार लाना है। जेपीसी ने विधेयक के बारे में विस्तृत चर्चा की और इस पर विभिन्न पक्षों से साक्ष्य प्राप्त किए। अब यह रिपोर्ट लोकसभा में पेश की जाएगी और आगे की विधायी प्रक्रिया को गति मिलेगी।
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वक्फ विधेयक पर जेपीसी की रिपोर्ट पहले ही 30 जनवरी 2025 को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप दी गई थी। जेपीसी ने 29 जनवरी को विधेयक के संशोधित ड्राफ्ट और रिपोर्ट को मंजूरी दी। इसमें वक्फ विधेयक 1995 के 14 क्लॉज और सेक्शन में 25 संशोधनों का प्रस्ताव किया गया। हालांकि विपक्षी नेताओं ने इस रिपोर्ट पर असहमति जताई और अपनी आपत्तियां प्रस्तुत कीं।
जगदंबिका पाल ने लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी रिपोर्ट
इससे पहले, गुरुवार को जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को समिति की रिपोर्ट सौंपी थी। 655 पन्नों वाली इस रिपोर्ट में सत्ता पक्ष के सांसदों की ओर से दिए गए सुझाव को शामिल किया गया था। विपक्षी सांसदों ने इस रिपोर्ट को असंवैधानिक बताते हुए दावा किया था कि यह कदम वक्फ बोर्ड को बर्बाद कर देगा। वहीं, सत्ता पक्ष के सांसदों के अनुसार, इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने में मदद मिलेगी। जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई थी।
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साल 2024 में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरण रिजीजू ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक को पेश किया था। बाद में 8 अगस्त को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास विधेयक को भेजा गया था। सरकार की ओर से पेश विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है।
कांग्रेस सांसद ने जताई नाराजगी
उधर, राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने जेपीसी रिपोर्ट को लेकर बड़े आरोप लगाए हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त समिति के सदस्य के रूप में मैंने विधेयक का विरोध करते हुए एक विस्तृत असहमति नोट दिया था। चौंकाने वाली बात यह है कि मेरे असहमति नोट के कुछ हिस्सों को मेरी जानकारी के बिना संशोधित कर दिया गया है। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त समिति पहले ही एक तमाशा बनकर रह गई थी। लेकिन अब वे और भी नीचे गिर गए हैं - विपक्षी सांसदों की असहमति की आवाज को सेंसर कर रहे हैं! वे किस बात से इतने डरे हुए हैं? हमें चुप कराने की यह कोशिश क्यों?
विधेयक में वक्फ का लाभ गरीबों और महिलाओं को
दूसरी ओर जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इस संशोधित विधेयक में पहली बार एक खंड जोड़ा गया है जिसमें वक्फ का फायदा विशेष रूप से गरीबों, महिलाओं और अनाथों को देने की बात कही गई है। समिति ने 44 क्लॉज पर विचार किया जिनमें से 14 पर संशोधन किए गए। इन संशोधनों को बहुमत से स्वीकृति मिली।
वक्फ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य
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वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का प्रमुख उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसी समस्याओं का समाधान करना है। इसके तहत डिजिटलीकरण, ऑडिट और पारदर्शिता की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाएगा जिससे वक्फ बोर्ड की अवैध कब्जे वाली संपत्तियों को छुड़ाया जा सके।