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Maha Kumbabhishegam: इंडोनेशिया के मुरुगन मंदिर कार्यक्रम का हिस्सा बने PM Modi, दोनों देशों के गहरे संबंध की बताई कहानी

पीएम मोदी ने कहा,  जकार्ता में भगवान मुरुगन के इस नए भव्य मंदिर के माध्यम से हमारी सदियों पुरानी विरासत में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ रहा है। मुझे विश्वास है, ये मंदिर न सिर्फ हमारी आस्था का, बल्कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का नया केंद्र बनेगा...

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Jyoti Yadav
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जकार्ता, वाईबीएन नेटवर्क  

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जकार्ता के मुरुगन मंदिर में चल रहे महाकुंभ अभिषेकम् कार्यक्रम का पीएम मोदी वर्चुअल तौर पर हिस्सा बने। इस अवसर पर पीएम मोदी ने मुरुगन मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन, मंदिर के बड़े पुजारियों, आचार्यों का धन्यवाद किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा, "यह मेरा सौभाग्य है कि मैं जकार्ता के मुरुगन मंदिर के महाकुंभ अभिषेकम् जैसे पुण्य कार्य का हिस्सा बन रहा हूं। मैं शारीरिक रूप से भले ही जकार्ता से सैकड़ों किलोमीटर दूर हूं, लेकिन मेरा मन इस आयोजन के उतने ही करीब है, जितना भारत-इंडोनेशिया के आपसी रिश्ते।" 

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सांस्कृतिक मूल्यों का नया केंद्र 

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पीएम मोदी ने कहा,  जकार्ता में भगवान मुरुगन के इस नए भव्य मंदिर के माध्यम से हमारी सदियों पुरानी विरासत में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ रहा है। मुझे विश्वास है, ये मंदिर न सिर्फ हमारी आस्था का, बल्कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का नया केंद्र बनेगा। 

भारत- इंडोनेशिया के संबंध

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पीएम नरेंद्र मोदी भारत इंडोनेशिया के संबंध के बारे में बोलते हुए कहा, "भारत- इंडोनेशिया के संबंध केवल जियोपोलिटिकल नहीं हैं, हमारा संबंध पुरानी संस्कृति से जुड़ा है। पुरानी आस्था से जुड़ा है। हमारा संबंध विरासत का है। विश्वास का है, हमारा संबंध साझी आस्था का है। हमारा संबंध भगवान मुरुगन और भगवान राम का भी है।हमारा संबंध भगवान बुद्ध का है। भारत से इंडोनेशिया जाने वाला हर आदमी वैसा ही महसूस करता है, जैसा वह काशी और अयोध्या में करता है। 

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अनेकता, हमारी संस्कृति का सबसे बड़ा आधार है

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मुझे बताया गया है कि इस मंदिर में भगवान मुरुगन के अलावा कई अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित की गई हैं। ये विविधता, ये अनेकता, हमारी संस्कृति का सबसे बड़ा आधार है। इंडोनेशिया में विविधता की इस परंपरा को भिन्नेका तुंगगल इका कहा जाता है। भारत में हम इसे 'विविधता में एकता' कहते हैं। विविधता में हमारी साझा आस्था के कारण ही इंडोनेशिया और भारत दोनों देशों में अलग-अलग समुदायों के लोग इतने सद्भाव के साथ रहते हैं। इसलिए, ये पवित्र दिन हमें विविधता में एकता के संदेश से भी प्रेरित करता है।" 

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