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कोलकाता, वाईबीएन नेटवर्क |पश्चिम बंगाल के कोलकाता में शिक्षकों द्वारा SSC भर्ती मामले में 26,000 शिक्षकों की नौकरी जाने के विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। यह मामला सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि पूरी नियुक्ति प्रक्रिया ही दूषित थी।
#WATCH | कोलकाता, पश्चिम बंगाल: SSC शिक्षक SSC कार्यालय के बाहर 'धरना' पर बैठे हैं।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 21, 2025
शिक्षकों द्वारा SSC भर्ती मामले में 26,000 शिक्षकों की नौकरी जाने के विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी है। यह मामला सर्वोच्च न्यायालय के उस… pic.twitter.com/zyIs3altD7
पश्चिम बंगाल में लंबे समय से जारी विरोध प्रदर्शन को लेकर 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में कुछ शिक्षकों को राहत देते हुए आदेश दिया था कि जिन शिक्षकों की नियुक्ति रद्द हुई है, वे नई चयन प्रक्रिया पूरी होने तक पढ़ाना जारी रख सकते हैं। शर्त ने थी कि उनका नाम 2016 के घोटाले में ना आया हो। वहीं ग्रुप C और ग्रुप D के नॉन टीचिंग स्टाफ के कर्मचारियों को राहत नहीं मिली। इनमें से ज्यादातर कर्मचारियों पर आरोप सिद्ध हुए। सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। हाईकोर्ट ने 2016 की भर्ती के 25,753 टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति को अवैध बताते हुए रद्द कर दिया था।
क्या है पूरा मामला समझें
दरअसल, साल 2016 में बंगाल सरकार ने स्टेट लेवल सिलेक्शन टेस्ट के जरिए सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ की भर्ती की थी। तब 24,640 रिक्त पदों के लिए 23 लाख से अधिक लोगों ने भर्ती परीक्षा दी थी। इस भर्ती में कलकत्ता हाईकोर्ट को कई शिकायतें मिली जिसमें 5 से 15 लाख रुपए तक की घूस लेने का आरोप लगाया गया। मामले में CBI ने राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी और SSC के कुछ अधिकारियों को गिरफ्तार किया था।