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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः जमानत के लिए करोड़ों रुपये की रिश्वत मांगने के मामले में उस समय नया मोड़ आ गया जब राउज एवेन्यु की कोर्ट से तब्दील किए गए स्पेशल जज की कोर्ट अहलमद हाईकोर्ट पहुंच गया। उसने जो बात कही वो सभी को हैरत में डालने वाली है। अहलमद का कहना है कि जज साहब के खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं। पुलिस के दो बड़े अफसर जज से खार खा गए थे। उन्होंने उनको फंसाने के लिए सारा मामला रचा। खास बात है कि हाईकोर्ट ने पहले ही राउज एवेन्यु कोर्ट के जज का तबादला रोहिणी कर दिया है।
अहलमद के खिलाफ केस दर्ज कर चुकी है एसीबी
एसीबी ने 16 मई को मुकेश कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 और भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज किया था। उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने आरोपियों को जमानत पर रिहा करवाने के बदले में उनसे रिश्वत मांगी और ली भी। हालांकि, मुकेश कुमार ने आरोपों से साफ इनकार किया है। उनका दावा है कि एसीबी अधिकारियों ने स्पेशल जज को निशाने पर रखकर उन्हें एक साजिश के तहत फंसाया है। न्यायपालिका भारत
ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर पर जज के खिलाफ साजिश रचने का आरोप
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में मुकेश कुमार ने एसीबी के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर मधुर वर्मा और असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर जरनैल सिंह पर आरोप जड़े हैं। उसका कहना है कि एसीबी के खिलाफ दिए गए न्यायिक आदेशों को लेकर दोनों अफसर जज के साथ व्यक्तिगत दुश्मनी रखने लगे थे। अपनी याचिका में अहलमद ने कहा कि एफआईआर झूठी और दुर्भावनापूर्ण है, जिसका एकमात्र उद्देश्य न्यायपालिका को मजबूर करना और उसको जज के खिलाफ इस्तेमाल करना है। मुकेश का कहना है कि एसीबी के अफसर जज से रंजिश रखने लगे थे क्योंकि उन्होंने उनके खिलाफ कई आदेश पारित किए थे। जज ने अफसरों के खिलाफ आदेश देने जारी रखे तो उनकी कोर्ट के स्टाफ को धमकी मिलने लगीं। तब उन्होंने स्पेशल कोर्ट से तबादले की गुहार भी लगाई।
जज ने ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर मधुर वर्मा को दिया था नोटिस
अहलमद ने एक ट्रायल कोर्ट को बताया कि उनके खिलाफ केस तभी दर्ज किया गया जब स्पेशल जज ने एसीबी के अफसर ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर मधुर वर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा था कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना का केस चलाया जाए। हालांकि मामले का दूसरा पहलू ये भी है कि अहलमद के खिलाफ केस दर्ज करने से पहले एसीबी ने दिल्ली सरकार के ला डिपार्टमेंट से अनुमति मांगी थी। एसीबी जज के खिलाफ केस दर्ज करना चाहती थी। महकमे ने केस को हाईकोर्ट के पास भेज दिया। उसके बाद हाईकोर्ट ने जज का तबादला कर रोहिणी दिया। हालांकि हाईकोर्ट ने जज के खिलाफ केस दर्ज करने की परमिशन नहीं दी लेकिन एसीबी से ये कहा कि वो जांच करती रहे। तब जाकर एसीबी ने अहलमद को नामजद किया।
जज की आडियो रिकार्डिंग सौंपी गई थीं हाईकोर्ट को
एसीबी की शिकायत में कहा गया था कि एक जीएसटी अफसर और उसके साथियों को करप्शन के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जज ने अपने स्टाफ के जरिये आरोपियों को जमानत देने के लिए करोड़ों रुपये की रश्वत मांगी थी। एसीबी के संज्ञान में ये मामला आरोपियों के रिश्तेदारों की तरफ से भेजी गई ईमेल के जरिये सामने आया। उसके बाद तफ्तीश की गई तो आरोप सच साबित हो गए। एसीबी ने आडियो रिकार्डिंग्स के साथ कुछ दस्तावेज दिल्ली के ला डिपार्टमेंट को भेजकर केस दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। हाईकोर्ट ने दस्तावेजों पर नजर डालने के बाद केस तो दर्ज नहीं करने दिया पर स्पेशल जज को रोहिणी में भेज दिया।
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