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Sawan में कढ़ी और साग क्यों नहीं खाना चाहिए जानिए 7 वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण।

सावन में कढ़ी और साग नहीं खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि कढ़ी गैस व एसिडिटी बढ़ा सकती है और साग में नमी के कारण बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं, जिससे पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

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YBN News
सावन में कढ़ी और साग क्यों नहीं खाना चाहिए (1)

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सावन का महीना हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। यह न सिर्फ आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष होता है, बल्कि स्वास्थ्य के नजरिए से भी सावधानी बरतने का समय है। विशेष रूप से इस दौरान कढ़ी (दही वाली करी) और साग (हरी पत्तेदार सब्जियां) खाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है।

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 पाचन तंत्र कमजोर होता है।

सावन में बारिश और नमी के कारण हमारी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। कढ़ी और साग दोनों ही भारी और देर से पचने वाले होते हैं, जिससे गैस, अपच और एसिडिटी की समस्या हो सकती है।

बैक्टीरिया और कीड़े बढ़ते है।

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बरसात के मौसम में पत्तेदार सब्जियों में कीड़े और हानिकारक बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। ऐसे में साग खाने से फूड पॉइजनिंग का खतरा रहता है।

 त्वचा रोगों का खतरा। 

सावन में त्वचा की एलर्जी, फंगल इन्फेक्शन आदि आम होते हैं। कढ़ी और साग शरीर में अतिरिक्त नमी पैदा कर इन समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।

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संक्रमण का खतरा। 

हरी सब्जियों में कीटनाशकों और गंदगी के कारण इन्फेक्शन का खतरा कई गुना बढ़ जाता है, खासकर जब साफ-सफाई न हो।

दही से गले में खराश।

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दही से बनी कढ़ी ठंडी तासीर की होती है, जिससे सावन की ठंडी-गीली जलवायु में गले की खराश और सर्दी-जुकाम हो सकता है।

धार्मिक दृष्टिकोण

धार्मिक मान्यता है कि सावन में भगवान शिव का पूजन करते समय सात्विक, हल्का और सुपाच्य भोजन करना चाहिए। कढ़ी और साग को तामसिक और भारी माना जाता है।

स्वास्थ्य और आध्यात्मिक शुद्धता के लिए सावन में कढ़ी और साग जैसे भारी, खट्टी और पचने में कठिन चीजों से बचना उचित है। इस समय फल, दूध, हल्की खिचड़ी और हरी मूंग जैसी चीजें श्रेष्ठ मानी जाती हैं।

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