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bhaidooj Photograph: (bhaidooj)
नई दिल्ली। भाई दूज के पावन अवसर पर इस बार अमृत चौघड़िया में तिलक करने का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 3 नवंबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन अमृत चौघड़िया का योग बन रहा है, जो अत्यंत शुभ माना जाता है। इस समय तिलक करने से भाई-बहन के संबंध मजबूत होंगे और घर में सुख-समृद्धि का वास रहेगा। खासतौर पर वृषभ, कन्या, तुला, मकर और मीन राशि वालों को इस मुहूर्त में तिलक करने से विशेष लाभ प्राप्त होगा।
पांच दिवसीय महापर्व
मालूम हो कि दिवाली के पांच दिवसीय महापर्व का समापन भाई दूज के साथ होता है, जो भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का एक पवित्र प्रतीक माना जाता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है और इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। रक्षाबंधन की तरह ही इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सफलता की कामना करते हुए तिलक करती है, आरती उतारती है और अपने हाथों से भोजन कराती है। वहीं, भाई बहन को जीवनभर उसकी रक्षा का वचन देता है और उपहार भी भेंट करता है।
ज्योतिष के अनुसार इस वर्ष भाई दूज के दिन चंद्रमा का गोचर तुला राशि में हो रहा है, जो विशेष रूप से कुछ राशियों के लिए शुभ संकेत दे रहा है। मेष राशि वालों को माता-पिता से स्नेह मिलेगा और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी। धन लाभ के योग भी बन रहे हैं। कन्या और धनु राशि के जातकों को पारिवारिक जीवन में सुख की प्राप्ति होगी और भाई-बहन के संबंधों में मजबूती आएगी। खासकर धनु राशि वालों को भाई दूज के दिन कोई शुभ समाचार मिल सकता है और व्यापार में भी लाभ के संकेत हैं। इस दिन यदि जातक अपनी बहन को सफेद रंग की वस्तुएं जैसे वस्त्र, मिठाई या चांदी का कोई तोहफा भेंट करें तो विशेष फल प्राप्त होता है।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस वर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर 2025 को रात 8 बजकर 17 मिनट पर शुरू हो रही है और 23 अक्टूबर 2025 को रात 10 बजकर 47 मिनट पर समाप्त हो रही है। चूंकि पर्वों को उदया तिथि यानी जिस दिन सूर्योदय के समय वह तिथि हो, उस दिन मनाया जाता है, इसलिए भाई दूज 23 अक्टूबर, गुरुवार को मनाना ही शास्त्रों के अनुसार उचित माना गया है। भाई दूज की पूजा और तिलक का कार्य सुबह नहीं बल्कि दोपहर के समय करना शुभ रहता है।
ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन का सबसे उत्तम शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 2 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। इस दौरान 12:05 से 1:30 तक शुभ चौघड़िया और 1:30 से 2:54 तक अमृत चौघड़िया रहेगा, जो कि अत्यंत फलदायी और सौभाग्यवर्धक माना गया है। विशेष रूप से अमृत चौघड़िया के समय तिलक करना भाई के जीवन में सुख, समृद्धि और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है।
अत्यंत लोकप्रिय और पवित्र कथा
भाई दूज से जुड़ी एक अत्यंत लोकप्रिय और पवित्र कथा भी है, जो सूर्यपुत्र यमराज और उनकी बहन यमुनाजी से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्रेम करते थे लेकिन व्यस्तताओं के कारण वे उनसे मिलने नहीं जा पाते थे। यमुनाजी ने बार-बार अपने भाई को आमंत्रित किया और एक दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमराज उनकी बात मानकर उनके घर पहुंचे।
यमुनाजी ने अपने भाई का तिलक कर भव्य स्वागत किया और उन्हें अनेक पकवानों से भरा स्वादिष्ट भोजन कराया। यमराज ने अपनी बहन की सेवा और प्रेम से प्रसन्न होकर वरदान दिया कि जो बहन इस दिन अपने भाई को तिलक कर भोजन कराएगी, उसके भाई को कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। तभी से यह पर्व यम द्वितीया के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
(इनपुट-आईएएनएस)
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